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राम जन्म भूमि तो अयोध्या में है लेकिन रामभक्त हनुमान कहां हुए पैदा…दो राज्यों ने ठोंका दावा, कौन सच कौन झूठा!

photo courtesy her zindagi

भगवान राम के बाद अब हनुमान के जन्मस्थान को लेकर विवाद जोरों पर है। दक्षिण भारत में भगवान हनुमान के जन्मस्थान को लेकर घमासान मचा हुआ है। एक तरफ कर्नाटक का दावा है कि उनका राज्य ही बजरंगबली का जन्मस्थान है, तो वही दूसरी और आंध्र प्रदेश भी अपने राज्य को संकटमोचन हनुमान की जन्मस्थली करार दे रहा है। इस कड़ी में कर्नाटक के शिवमोगा के एक धर्मगुरु ने एक और दावा करके इस विवाद को और बढ़ा दिया है। धर्मगुरु का कहना है कि उत्तर कन्नड़ जिले के तीर्थस्थल गोकर्ण में रामदूत हनुमान का जन्म हुआ था। 
 
कर्नाटक के धर्मगुरुओं का कहना है कि हनुमान का जन्म किष्किंधा के अंजनाद्रि पर्वत पर हुआ था। जो कोप्पल जिले के अनेगुंडी में है। मचंद्रपुर मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती ने दावे में रामायण का जिक्र किया और कहा- हनुमान ने समुंद्र पार करने के बाद खुद सीता माता को अपना जन्म स्थान बताया था। साथ ही भगवान राम और लक्ष्मण पहली बार हनुमान से किष्किंधा में ही मिले थे। रामायण में मिले प्रमाण से हम कह सकते हैं कि गोकर्ण हनुमान की जन्मभूमि है और किष्किंधा स्थित अंजनाद्रि उनकी कर्मभूमि है।' 
 
वहीं आंध्र प्रदेश के धर्मगुरुओं की मानें तो हनुमान का जन्म तिरुपति की 7 पहाड़ियों में से एक अंजनाद्रि पर हुआ था। यही पर तिरुपति में स्थित तिरुमला मंदिर है। इस मंदिर को लेकर लोगों की अटूट आस्था जुड़ी हुई है। 'तिरुमला' एक तेलुगू शब्द है, जिसका हिंदी में मतलब होता है सात पहाड़ियां… ये मंदिर इन्हीं सात पहाड़ियों को पार करने पर आता है। हनुमान मंदिर के जन्मस्थान के इस विवाद को सुलझाने के लिए तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया गया है। 
 
इस पैनल में वैदिक जानकार, पुरातत्व विशेषज्ञों और इसरो के वैज्ञानिक भी शामिल है। 21 अप्रैल को ये एक्सपर्ट्स पैनल अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। भगवान बजंरगबली के जन्मस्थान को लेकर तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने सबूत पेश करने की बात कही है। टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड का कहना है- 'हमारे पास पौराणिक और पुरातात्विक प्रमाण है, जो ये साबित करेगा कि तिरुपति के अंजनाद्रि पर्वत पर ही हनुमान का जन्म हुआ था।'