Hindi News

indianarrative

100 years of Chauri Chaura: उपद्रवियों तब गांधी ने कैसे लड़ी ‘आर-पार’ की लड़ाई!

चौरी-चौरा ( Chauri Chaura) कांड के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था। (फाईल फोटो)

दिल्ली के बॉर्डर पर जमे हुए किसानों और 26 जनवरी के राष्ट्रीय पर्व पर उत्पात के बीच लोगों को गांधी कई बार याद आए। संयोग ही है कि 4 फरवरी को चौरी-चौरा कांड हुआ था। जो तारीख नजदीक है और उसके सौ साल पूरे हो रहे हैं। आज गांधी को केंद्र में रखकर उन बातों की चर्चा लाजमी है जिसके लिए वो याद आएं।

उन बातों को बताने की जरूरत है कि गांधी के देश में सत्ता से अपने हक की लड़ाई कैसे लड़ी जाती है। जिस चौरी-चौरा कांड के सौ साल हो रहे हैं। उसके बाद गांधी ने असहयोग को वापस क्यों ले लिया था। तब भी देश आर-पार के मूड में था लेकिन गांधी ने पहले देश के बारे में सोचा। उन्होंने साध्य से ज्यादा साधन की पवित्रता को अहमियत दी। गांधी ने लोक और सत्ता को एक-दूसरे का पूरक माना। उन्होंने कभी भी एक के लिए दूसरे को ललकारा नहीं।

आज किसानों के मुद्दों पर जो लोग दिल्ली को बंधक बनाए हुए हैं। उनके बयानों से लगता है कि वे आंदोलन के मुद्दों से हटकर बार-बार आर-पार की लड़ाई की बात कहते हैं। पिछले कुछ दिनों से किसान आंदोलन- हिंसा, टकराव और एक-दूसरे को ललकारने की तरफ क्यों बढ़ गया है?

दिल्ली के बार्डर पर प्रदर्शनकारियों के ऐसे रूख पर चौरी-चौरा के इतिहास में झांकने की जरूरत है। वहां गांधी कितने सही या गलत थे आज 100 साल बाद उसको वर्तमान परिवेश में भी समझने की जरूरत है। राममनोहर लोहिया कहते थे न कि 100 साल बाद देश की स्मृति में जो बातें शेष रह जाती हैं वही सच्चा इतिहास होती हैं। इतिहास को परखने की जरूरत है। परखेंगे तो इस बात पर दृढ़ता रहेगी कि सत्य और अहिंसा आज भी प्रासंगिक है। लोकतंत्र में लोक और सत्ता एक-दूसरे के पूरक हैं। ये एक दूसरे से आर-पार की लड़ाई नहीं लड़ते।

साधन की पवित्रता से समझौता नहीं किया गांधी ने 

4 फरवरी 1922 को गोरखपुर में चौरी चौरा कांड हुआ था। इससे दुखी होकर महात्‍मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को बीच में ही रोक दिया था। क्योंकि असहयोग आंदोलन में भाग लेने वाले प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह पुलिस के साथ भिड़ गया था। जवाबी कार्रवाई में प्रदर्शनकारियों ने हमला किया और चौरी चौरा के एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। उस घटना में तीन नागरिकों और 22 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी।

गांधी ने सत्य और अहिंसा को बनाया हथियार

महात्मा गांधी ने साध्य से ज्यादा साधन की पवित्रता पर जोर दिया। उनके आंदोलन में मुख्य साधन सत्य और अहिंसा था। महात्मा गांधी हिंसा के सख्त खिलाफ थे। जब चौरी-चौरा की घटना हुई तो गांधी ने 12 फरवरी 1922 को राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे असहयोग आंदोलन को रोक दिया था।

नई पीढ़ी को चौरी-चौरा कांड से अवगत कराएगी सरकार

इस मौके पर सरकार की कोशिश है कि केवल राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश और नई पीढ़ी चौरी-चौरा कांड के शहीदों के से अवगत हों। इस घटना से जुड़े तमाम तथ्यों को किताब का रूप दिया जाएगा। वहीं, ‘चौरी चौरा’ घटना के 100 साल होने के उपलक्ष्य में पीएम नरेंद्र मोदी शताब्दी समारोह का उद्घाटन करेंगे। यह समारोह 4 फरवरी को होगा। जो 4 फरवरी 2022 तक चलेगा। पीएम चौरी चौरा घटना पर एक डाक टिकट भी जारी करेंगे जो आम लोगों को इस घटना की याद दिलाएगी।

क्या है थीम?

सरकार की ओर से शताब्दी समारोह  की थीम ‘स्वदेशी, स्वालम्बन एवं स्वच्छता रखा गया है। सरकार का कहना है कि स्वालम्बन की भावना आत्मनिर्भर यूपी की मूल भावना है। इस अवसर पर जिले के विभिन्न उत्पादों ओडीओपी में विशेष कार्य करने वाले उद्यमियों, बुनकरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, शिल्पकारों आदि को विश्वकर्मा श्रम सम्मान, कौशल विकास पुरस्कार आदि से भी प्रोत्साहित किया जायेगा। कृषकों एवं पशुपालकों को भी उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा। 

यूपी के सभी जिले में  होंगे कार्यक्रम

योगी सरकार राज्य के सभी 75 जिलों में 4 फरवरी 2021 से 4 फरवरी 2022 तक कार्यक्रम का आयोजन करेगी। चौरी चौरा शताब्दी समारोह  की थीम ‘स्वदेशी, स्वालम्बन एवं स्वच्छता है। स्वालम्बन की भावना आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की मूल भावना है। जनपद के विभिन्न उत्पादों ओडीओपी में विशेष कार्य करने वाले उद्यमियों, बुनकरों, महिला स्वयं सहायता समूहों, शिल्पकारों आदि को विश्वकर्मा श्रम सम्मान, कौशल विकास पुरस्कार आदि से भी प्रोत्साहित किया जायेगा। कृषकों एवं पशुपालकों को भी उल्लेखनीय कार्य के लिए सम्मानित किया जाएगा। इसके जरिए सरकार की कोशिश है कि केवल राज्य ही नहीं बल्कि पूरा देश और नई पीढ़ी चौरी चौरा कांड के शहीदों के से अवगत हों। इस घटना से जुड़े तमाम तथ्यों को किताब का रूप दिया जाएगा।