भारत में अवैध रूप से रह रहे तीन रोहिंग्या मुसलमानों (3 Rohingya Muslims held) को सोमवार को उत्तर प्रदेश (Rohingya UP News) से गिरफ्तार किया गया। इन पर जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल कर भारत में रहने और बांग्लादेश और म्यांमार से और लोगों को आने में मदद करने का आरोप है। यूपी एंटी-टेरर स्क्वाड (UP ATS) द्वारा लखनऊ में मिल्रिटी इंटेलिजेंस (MI) यूनिट से मिले इनपुट के आधार पर गिरफ्तारियां की गईं।
2019 में, एमआई लखनऊ के अधिकारियों को रोहिंग्या मुसलमानों के एक संभावित रैकेट के इनपुट मिले थे, जिन्होंने अवैध रूप से भारतीय पहचान दस्तावेजों को हासिल किया और देश के विभिन्न हिस्सों में बस गए। यह भी संदेह है कि ये लोग म्यांमार और बांग्लादेश से दूसरों को लाने में शामिल थे और विभिन्न बूचड़खानों और बीफ प्रोडक्शन फ्रैक्ट्री में कम वेतन वाली नौकरी पाने में उनकी मदद करते थे।
एमआई लखनऊ द्वारा एक जांच की गई। परिणामस्वरूप, अलीगढ़ में एक बूचड़खाने में एक संदिग्ध व्यक्ति हसन अहमद (म्यांमार दस्तावेजों पर) उर्फ मोहम्मद फारूक (भारतीय दस्तावेजों पर) की पहचान की गई। वह अलीगढ़ से उन्नाव, फिर राजस्थान और नूह (हरियाणा) चला गया था। उन्नाव में, वह अपने छोटे भाई मोहम्मद शाहिद के साथ रहा, जो वहां बस गया था। इसके अलावा, यह संदेह था कि हसन अहमद उर्फ मोहम्मद फारूक को अलीगढ़ में उसके दामाद मोहम्मद जुबैर ने मदद की थी।
यह मामला 2021 की शुरुआत में यूपी एटीएस के साथ साझा किया गया था और दोनों इकाइयों द्वारा संयुक्त रूप से इसकी जांच की गई थी।
एक महीने तक उनकी गतिविधियों पर नजर रखने के बाद, रविवार-सोमवार की रात को, यूपी एटीएस की अलग-अलग टीमों ने हसन अहमद उर्फ मोहम्मद फारूक, मोहम्मद शाहिद और मोहम्मद जुबैर को क्रमश: नोएडा, उन्नाव और अलीगढ़ से गिरफ्तार किया। उनके पास से मोबाइल फोन, 5 लाख रुपये नकद, आठ पासपोर्ट और अन्य जाली भारतीय पहचान दस्तावेज बरामद किए गए।
अब ये पुलिस रिमांड में हैं और अन्य विदेशी लोगों के विवरण निकालने का प्रयास किया जा रहा है, जिनकी इन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारत में बसने में सहायता की है।