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5 Star Covid Care Center: केजरीवाल ने लिया U Turn जजों के लिए 5 Star Covid Care Center का आदेश वापस

5 स्टार कोविड केयर सेंटर, Photo Courtesy Google

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के ऊपर एक कहावत ‘फूहड़ों के तीन काम…’ चरितार्थ हो रही है। जस्टिस विपिन्न सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच से डांट खाने के बाद केजरीवाल सरकार ने जजों के लिए 5 स्टार कोविड सेंटर वाले आदेश को वापस ले लिया है। केजरीवाल सरकार ने कहा था कि हाईकोर्ट के आग्रह पर जजेस उनके स्टाफ और फेमिली मेंबर्स के लिए अशोका होटल में फाइव स्टार कोविड केयर सेंटर बनाया दिया गया है। केजरीवाल सरकार ने अपने चित-परिचित अंदाज में एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश की, लेकिन उनकी यह कोशिश ‘उड़ता तीर’ साबित हो गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार को बुरी तरह डांटा ही नहीं बल्कि नोटिस जारी कर जवाब-तलब कर लिया। हाईकोर्ट के रुख से हैरान परेशान केजरीवाल सरकार ने देर रात 5 स्टार कोविड केयर सेंटर बनाने का आदेश वापस ले लिया।

दिल्ली सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीशों, कर्मियों एवं उनके परिवारों के लिए एक फाइव स्टार होटल में 100 कमरों का कोविड-19 देखभाल केंद्र बनाने का प्रशासनिक आदेश वापस लेने संबंधी मंगलवार को निर्देश जारी किए। इससे कुछ ही घंटे पहले अदालत की एक पीठ ने कहा था कि उसने इस प्रकार का केंद्र बनाए जाने का कोई अनुरोध नहीं किया है।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार देर रात एक ट्वीट किया कि अशोका होटल में न्यायाधीशों के लिए एक कोविड-19 देखभाल केंद्र बनाने संबंधी आदेश वापस लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘‘इस आदेश को तत्काल वापस लेने के निर्देश जारी किए।’’

चाणक्यपुरी के उपमंडलीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) द्वारा 25 अप्रैल को जारी आदेश में कहा गया था कि अशोका होटल में कोविड-19 केंद्र को प्राइमस अस्पताल से संबद्ध किया जाएगा। इसमें कहा गया था कि यह केंद्र दिल्ली उच्च न्यायालय के अनुरोध पर बनाया जा रहा है।

इसका संज्ञान लेते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि उसने अपने न्यायाधीशों, अपने कर्मियों और उनके परिवारों के लिए किसी पांच सितारा होटल में कोविड-19 केंद्र बनाने का कोई अनुरोध नहीं किया है। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ‘‘हमने किसी पांच सितारा होटल को कोविड-19 केंद्र में बदलने जैसा कोई आग्रह नहीं किया है।’’ उसने दिल्ली सरकार से ‘‘तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने को’’ कहा।

पीठ ने आदेश को ‘‘गलत’’ बताते हुए कहा कि इसके कारण यह छवि पेश हुई है कि दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने यह आदेश अपने लाभ के लिए जारी किया है या दिल्ली सरकार ने अदालत को खुश करने के लिए ऐसा किया है।