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Tamil Nadu की सियासत में शशिकला की होगी वापसी! जय ललिता के अधूरे सपने करेंगी पूरे

क्या फिर से हो पाएगी शशिकला की वापसी?

राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा करने के महज दो महीने बाद ही जयललिता की पूर्व सहयोगी वी.के. शशिकला ने एक बार फिर से राजनीति में आने के संकेत दे दिए हैं। एक ऑडियो क्लिप के वायरल होने के बाद शशिकला के राजनीति में पदार्पण की संभावनाएं बढ़ गई है। उन्होंने अपने समर्थकों से कहा है कि वो जल्द ही एक 'अच्छा निर्णय' लेंगी। उनकी इसी टिप्पणी को पार्टी (AIADMK) में वापस से आने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

शशिकला ने छह अप्रैल को हुए तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले घोषणा की थी कि वह राजनीति से दूर रहेंगे, लेकिन अब उन्होंने कहा है कि वह पार्टी को 'अंतर्कलह' के कारण बर्बाद होते नहीं देख सकतीं।

ऑडियो क्लिप के बाद वापसी की चर्चा हुई तेज

शशिकला की फोन पर अपने दो वफादार नेताओं से हुई संक्षिप्त बातचीत में यह बात सामने आई है। पहली ऑडियो क्लिप में उन्हें यह कहते हुए सुना जा सकता है, हम निश्चित रूप से पार्टी को सुव्यवस्थित कर लेंगे। मैं आऊंगी। वहीं, दूसरी ऑडियो क्लिप में वह अन्नाद्रमुक की ओर इशारा करते हुए अपने समर्थक से कहती हैं कि पार्टी नेताओं की कड़ी मेहनत से खड़ी हुई है, जिसमें वह भी शामिल हैं और वो 'उन्हें लड़ते हुए' देखकर दुखी हैं, तथा वह इसके चलते मूकदर्शक बनकर पार्टी को बर्बाद होते नहीं देख सकतीं। उनका कहना है कि वो कोरोना वायरस की दूसरी लहर के हल्के होते ही आएंगी और समर्थकों से मिलेंगी। जल्द ही अच्छा निर्णय लिया जाएगा।

पार्टी के दो नेताओं के बीच लंबे समय से सत्ता संघर्ष

शशिकला ने अंतर्कलह वाली बात में भले ही प्रत्यक्ष रूप से एआईएमडीएमके या इसके नेतृत्व के बारे में कुछ न कहा हो, लेकिन इसे पार्टी के दो शीर्ष नेताओं एडपाडी पलनीस्वामी और ओ. पनीरसेल्वम के बीच कथित मदभेद पर की गई टिप्पणी के तौर पर देखा जा रहा है। लगातार दस साल तक सत्ता में रही एआईएमडीएमके इस बार सत्ता से बाहर हो गई। विधानसभा में उसकी सीटें भी घटकर आधी बची रह गई। एआईएमडीएमके में पनीरसेल्वम और पलनीस्वामी के बीच लंबे समय से सत्ता संघर्ष चल रहा है।

फिर होगी शशिकला की वापसी?

बता दें कि, वर्ष 2017 में आय से अधिक संपत्ति मामले में उन्हें सजा मिली थी जिसके बाद शशिकला को जेल भेज दिया गया था, वो इस साल जनवरी में जेल से रिहा हुई हैं। दो साल पहले उन्हें और उनके भांजे दिनाकरण ने पार्टी पर से अपनी पकड़ खो दी थी। ऐसे में उनके इस बयान को पार्टी पर दोबारा नियंत्रण हासिल करने के प्रयास के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, दिनाकरण ने अपनी पार्टी एएमएमके के बैनर तले विधानसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वे एक भी सीट नहीं दिला सके और खुद भी कोविलपट्टी से चुनाव हार गए थे।