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Coronavirus: आपके मरीज में कोरोना के लक्षण हैं तो परेशान न हों AIIMS की गाइडलाइंस देखो, कैसे और कहां होगा इलाज!

AIIMS guidelines for corona patient treatment

कोरोना की दूसरी लहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रहा है। कोरोना इतना तेजी से फैल रहा है कि अब अस्पतालों में बेड के साथ साथ ऑक्सीजन की भी भारी किल्लत हो गई है। ऐसे में AIIMS ने नई गाइडलाइंन जारी की है जिसमें यह बताया गया है कि किन मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाए और किन मरीजों का घर पर इलाज हो। AIIMS और आईसीएमआर ने कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए नया जारी गाइडलाइंस में मरीजों की स्थिति के हिसाब से इलाज को लेकर निर्देश दिया है। यह गाइडलाइंस मरीजों की स्थिति यानी माइल्ड केस है या मॉडरेट या गंभीर, इसके हिसाब से इलाज का निर्देश दे रहा है।

हल्के लक्षण वाले मरीजों के लिए गाइडलाइंस

जिन लोगों में अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट सिंपटम हो और बुखार हो या न हो लेकिन सांस से संबंधित समस्या न हो तो उन्हें हल्के लक्षण वाले मरीजों की श्रेणी में रखा जाएगा। उनके लिए होम आइसोलेशन में देखभाल की सलाह दी गई है। उन्हों होम आइसोलेशन के दौरान अपने तापमान पर नजर रखनी है और ऑक्सीजन लेवल भी लगातार देखते रहना होगा। अगर ऐसे मरीजों को सांस लेने में समस्या आती है या 5 दिन से अधिक समय तक तेज बुखार और गंभीर खांसी रहती है तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

मध्यम श्रेणी के मरीजों के लिए क्या है गाइडलाइंस

जिन कोविड-19 संक्रमितों का श्वसन दर 24 प्रति मिनट से अधिक हो और सांस लेने में समस्या हो व कमरे के तापमान पर ऑक्सीजन लेवल 90-93 फीसदी तक हो तो ऐसे मरीजों को मध्यम श्रेणी में रखा गया है। ऐसे मरीजों को वार्ड में भर्ती किया जाएगा और साथ ही उनको ऑक्सीजन सपोर्ट दिया जाएगा ताकी उनका Co2 लेवल 92.-96 फीसदी तक पहुंच सके। जारी AIIMS के निर्देशों के अनुसार इन मरीजों की डॉक्टरों द्वारा सांस लेने पर नजर रखी जाएगी और स्थिति बिगड़ने पर चेस्ट टेस्ट जरूरी होगा।

90 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल वाले पेसेंट गंभीर श्रेणी में

जिन कोरोना संक्रमितों की श्वसन दर 30 प्रति मिनट से अधिक हो और सांस लेने की समस्या हो व कमरे के तापमान पर ऑक्सीजन लेवल 90 फीसदी से कम हो तो ऐसे मरीजों को गंभीर मानते हुए आईसीयू में एडमिट किया जाएगा। इन मरीजों के ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा किया जाएगा और इलाज किया जाएगा। साथ ही 60 साल से अधिक उम्र के लोग तनाव, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, डायबिटीज, क्रोनिक लंग/किडनी/लीवर डिजीज, सेरेब्रोवस्कुलर डिजीज या ऑबेसिटी से ग्रसित गंभीर संक्रमितों के लिए अधिक रिस्क है।