एयर इंडिया की हालत खराब है। कंपनी कर्ज में डुबी हई है। इस बीच सरकार कंपनी को बेचने के लिए बेताब है। जानकारी के मुताबिक, एयर इंडिया (Air India) के लिए टाटा ने बोली लगाई है। सार्वजनिक क्षेत्र की एयरलाइन एयर इंडिया एक बार फिर टाटा ग्रुप के हाथों में जा सकती है। आपको बता दें कि विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने स्पष्ट किया था कि 15 सितंबर की अंतिम तारीख नहीं बदली जाएगी। इस एयरलाइन के लिए बोली लगाने वाली कंपनियों में टाटा संस भी शामिल है।
टाटा संस के प्रवक्ता ने बताया कि एयर इंडिया के लिए वित्तीय बोली जमा कराई है। स्पाइसजेट के प्रमोटर अजय सिंह ने भी एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है। यह बात इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में कही गई है। सरकार ने पहले 2018 में एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी थी, लेकिन उस समय इसके लिए कोई खरीदार ही नहीं मिला और फिर इसे पूरी तरह बेच देने की कवायद शुरू की गई।
एयर इंडिया पर कुल 43 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है और यह पूरा कर्ज सरकारी गारंटी पर है। अगर टाटा बोली जीत जाती है तो उसे एयर इंडिया में मालिकाना हक मिल जाएगा। एयरलाइंस का स्वामित्व नई कंपनी को देने के पहले सरकार इस कर्ज को वहन करेगी। आपको बता दें कि जे आर डी टाटा ने 1932 में टाटा एयर सर्विसेज शुरू की थी, जो बाद में टाटा एयरलाइंस हुई और 29 जुलाई 1946 को यह पब्लिक लिमिटेड कंपनी हो गई थी। 1953 में सरकार ने टाटा एयरलाइंस का अधिग्रहण कर लिया और यह सरकारी कंपनी बन गई।
शुरूआती दौर में टाटा एयरलाइंस मुंबई के जुहू के पास एक मिट्टी के मकान से संचालित होता रहा। वहीं मौजूद एक मैदान ‘रनवे’ के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा।जब भी बरसात होती या मानसून आता तो इस मैदान में पानी भर जाया करता था। उस वक़्त ‘टाटा एयरलाइंस’ के पास दो छोटे सिंगल इंजन वाले हवाई जहाज़, दो पायलट और तीन मैकेनिक हुआ करते थे। पानी भर जाने की सूरत में जेआरडी टाटा अपने हवाई जहाज़ पूना से संचालित करते थे।