कोरोना काल में भी महाराष्ट्र सरकार अपनी इमेज चमकाने में लगी है। सरकार को जनता की जान से ज्यादा अपनी इमेज की चिंता है। इस महामारी में महाराष्ट्र की जनता की जान बिना बेड और ऑक्सीजन की जा रही है। हलात संभल नहीं रहा तो चेहरा चमकाने निकले हैं। शायद इसीलिए पेशेवरों की कमी का हवाला देकर डिप्टी सीएम अजित पवार के सोशल मीडिया अकाउंट्स संभालने का जिम्मा प्राइवेट एजेंसी को दे दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) की ओर से बुधवार को जारी ऑर्डर में कहा गया है कि ये कंपनी ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग, यूट्यूब, इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया अकाउंट्स को देखेगी। अगर जरूरत पड़ी सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) उस एजेंसी को और पैसा उपलब्ध करा सकता है, जो कि पहले ही मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के लिए काम कर रही है।
GAD से ये भी कहा गया है कि अब यह भी सुनिश्चित करना होगा कि मुख्यमंत्री कार्यालय और उपमुख्यमंत्री कार्यालय से सोशल मीडिया पर जारी मैसेज एक जैसे न हों। कहा गया है कि महाराष्ट्र सरकार की DGIPR के पास सोशल मीडिया अकाउंट हैंडल करने वाले पेशेवरों की कमी है, जिसकी वजह से बाहरी एजेंसी को यह काम सौंपा गया है। रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री कार्यालय ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट को संभालने के लिए पहले ही जुलाई 2020 में एक बाहरी एजेंसी हायर की थी। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक एजेंसी की नियुक्ति करते समय ई-टेंडरिंग की प्रक्रिया अपनाई गई थी।
सरकार के इस फैसले की आलोचना भी शुरू हो गई है। कुछ सीनियर अधिकारियों का कहना है कि यह फैसला सिर्फ अजीत पवार की इमेज बिल्डिंग के लिए लिया गया है। वह भी तब जब महाराष्ट्र के सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय (DGIPR) के पास 1200 लोगों का स्टाफ है। विभाग का सालाना बजट तकरीबन 150 करोड़ रुपए का है। DGIPR राज्य के सभी मंत्रालय, मंत्री, सरकारी ऑफिसों से जुड़े वरिष्ठ लोगों के सोशल मीडिया अकाउंट को हैंडल करता आया है।
महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का विपक्षी दल बीजेपी आलोचना कर रही है। भाजपा प्रवक्ता राम कदम ने कहा, 'महा विकास अघाड़ी सरकार उप मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाने के लिए 6 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। यह सरकार कह रही है कि उसके पास वैक्सीनेशन के लिए पैसे नहीं है, लेकिन अब वह खुद की वाहवाही के लिए करोड़ों खर्च कर रही है।'