वसीम रिजवी, सोनू निगम और अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीत श्रीवास्तव ये वो लोग हैं जो निजता के हनन और एक पक्षीय सेकुलरिज्म के खिलाफ आवाज बुलंद करने के बड़े नाम बन गए हैं। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर संगीता श्रीवास्तव मस्जिदों में होने वाली अजान से होने वाली परेशानी का मुद्दा उठाया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति ने प्रयाग के डीएम को पत्र लिखा और शिकायत कि रोज सुबह साढ़े पांच बजे लाउडस्पीकर पर अजान होती है। इससे उनकी नींद बाधित हो जाती है। उन्होंने लिखा की आजान की वजह से उनके सिर में दिनभर दर्द रहता है और कामकाज भी प्रभावित होता है।
कुलपति ने पत्र में पुरानी कहावत का उल्लेख करते हुए लिखा है ‘आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म हो जाती है जहां से मेरी नाक शुरू होती है’। उन्होंने साथ ही ये भी स्पष्ट किया है कि वे किसी संप्रदाय, जाति या वर्ग के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने पत्र में आगे कहा है कि अजान बिना लाउडस्पीकर के की जा सकती है, ताकि दूसरों की दिनचर्या प्रभावित न हो। पत्र में कहा गया है कि रमजान का महीना भी आने वाला है, आगे तो सहरी की घोषणा भी सुबह 4 बजे होगी। ये कुलपति और दूसरों के लिए परेशानी की वजह बनेगा।
अब इसे लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है। साजवादी पार्टी नेता अनुराग भदौरिया ने बयान दिया कि जब से भाजपा की सरकार बनी है, सिर्फ जाति-धर्म की बात हो रही है रोज़गार पर जोर नहीं दिया जा रहा है। किसी शिक्षा संस्थान को इस तरह के मसले पर नहीं बोलना चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव का कहना है कि नमाज़ करना अधिकार है, लेकिन कोर्ट पहले ही कह चुका है कि लाउडस्पीकर लगाना निजता का हनन है। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि लॉउडस्पीकर का प्रयोग करना संवैधानिक रूप से उचित नहीं है।
इसी मसले पर मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सैफ अब्बास का भी बयान आया है, उन्होंने कहा कि अज़ान तो सिर्फ 2-3 मिनट के लिए ही होती है। शिकायत करने वालों को ये कहना चाहिए था कि जो सुबह आरती होती है, इससे भी उनकी नींद खराब होती है। मुस्लिम धर्मगुरु ने कहा कि सिर्फ अजान के लिए ऐसी शिकायत करना बिल्कुल गलत है, ऐसे में मैं मानता हूं कि उन्हें इस शिकायत को वापस लेनी चाहिए।