पंजाब की रोपड़ जेल में बंद बीएसपी विधायक और माफिया मुख्तार अंसारी को जिस ऐम्बुलेंस से मोहाली कोर्ट में लाया गया था वह विवादों से घिर गई है। यूपी के नंबर वाली यह एम्बुलेंस बुलेटफ्रूफ भी बताई जाती है। जब गाड़ी के कागजातों की जांच हुई तो पता चला कि फर्जी वोटर आईडी से उसा रजिस्ट्रेशन कराया गया। चर्चा है कि यह ऐम्बुलेंस खुद मुख्तार अंसारी की है।
एंबुलेंस मामले में बाराबंकी के पुलिस अधीक्षक ने कहा कि, मुख्तार अंसारी द्वारा इस्तेमाल की गई एंबुलेंस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया है। परिवहन विभाग द्वारा एंबुलेंस के बारे में दी गई सूचना से पता चला है कि इसमें लगे दस्तावेज फर्जी थे। मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फर्जी दस्तावेज बनाने वाले लोगों को खिलाफ कार्रवाई होगी। एंबुलेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए डॉक्टर अल्का रॉय का नाम दिया गया था। रॉय के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है।
पुलिस अधीक्षक ने आगे कहा कि, अंसारी एक एंबुलेंस से पंजाब के एक कोर्ट में पेश हुआ। इस एंबुलेंस का रजिस्ट्रेशन नंबर बाराबंकी का था। पुलिस ने जब इस मामले की छानबीन की तो पता चला कि रजिस्ट्रेशन के लिए इस्तेमाल पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज फर्जी थे। इन दस्तावेजों पर दर्ज पते भी फर्जी निकले।
तीन तरह से लिखा गया नाम
छानबीन में पता चला है कि ऐम्बुलेंस को फाइनेंस करवाया गया था। फाइनेंस में ओनर श्याम संजीवनी हॉस्पिटल को बताकर दो मोबाइल नंबर दर्ज करवाए गए थे। ये मोबाइल नंबर एआरटीओ में पंजीकरण में दर्ज नंबर से अलग हैं। लोन की रकम 36 माह में अदा करनी थी, लेकिन अदायगी 33 महीने में ही कर दी गई थी। इसमें गारंटर के रूप में शेषनाथ राय नाम दर्ज है। वहीं, तीन कागजात में अलका राय का नाम तीन तरह से दर्ज है। ऐम्बुलेंस के पंजीकरण में डॉ. अलका राय, वोटर आईडी में अलका राय जबकि फाइनेंस के कागजात में नाम श्रीमती अलका राय लिखा है।
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को सौंपने का आदेश दिया है
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एक दोषी अथवा अंडरट्रायल कैदी जो देश के कानून की अवमानना करता है वह एक जेल से दूसरे जेल में भेजे जाने का विरोध नहीं कर सकता और कानून को यदि चुनौती दी जाती है तो कोर्ट केवल लाचार होकर मूकदर्शक नहीं बना रह सकता। शीर्ष अदालत ने पंजाब सरकार से अंसारी को यूपी पुलिस को सौंपने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा कि इलाज के बहाने उसे यूपी पुलिस को सौंपे जाने से इंकार नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने पंजाब सरकार को अंसारी को सौंपने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।