सीएए और एनआरसी के खिलाफ देश भर में हुई गतिविधियों पर गुवाहाटी हाई कोर्ट ने बेहद सख्त टिप्पणी की है। गुवाहाटी हाई कोर्ट की जस्टिस राय सुराना और अजीत ठाकुर की बैंच ने कहा है कि सीएए के खिलाफ गतिविधियों को अहिसंक आंदोलन या सत्याग्रह नहीं माना जा सकता। ये गैर कानूनी और आतंकी गतिविधियां थीं। यह सब गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम में परिभाषित टेररिस्ट एक्ट के अंतर्गत आता है।
जस्टिस कल्याण राय सुराना और अजीत बठाकुर की बेंच ने अपने आदेश में कहा, 'हिंसा का इस्तेमाल हुए अखिल के नेतृत्व वाली भीड़ ने अहिंसक आंदोलन की अवधारणा को ही खारिज कर दिया था। आंदोलन के जरिए सरकारी मशीनरी को कमजोर करने, आर्थिक नाकेबंदी, समुदायों के बीच नफरत फैलाने और जनशांति में बाधा उत्पन्न करके सरकार के प्रति अंसतोष पैदा करने की कोशिश की गई थी।'
कोर्ट ने कहा कि इस तरह की गतिविधि यूएपीए की धारा 15 के तहत आतंकी कार्य के रूप में परिभाषित है। बता दें कि अखिल गोगोई कृषक मुक्ति संग्राम परिषद और राइजोर दल के नेता हैं। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ कथित हिंसक प्रदर्शन के मामले में गोगोई को दिसंबर 2019 में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह गुवाहाटी केंद्रीय कारागार में बंद है । गोबोई को 12 दिसंबर 2019 को गिरफ्तार किया गया था । बाद में यह मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी को सौंप दिया गया था ।.