कांग्रेस के अंदर चल रही खींचातानी अब बाहर आ चुकी है। पार्टी के शिर्ष नेताओं में नहीं बन रही है। यह कांग्रेस कार्य समिति यानी CWC की बैठक में एक बार फिर से दिखा। बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पत्र लिखने वाले ऐसे कई नेताओं पर निशाना साधा जो पिछले कुछ महीनों से संगठनात्मक चुनाव की मांग कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, गहलोत की टिप्पणी पर पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने प्रतिवाद किया और कहा कि यह ‘अपमानजनक’ है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि वह सबकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और चुनाव कराकर इस मुद्दे को यही खत्म किया जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार, गहलोत ने बैठक में कहा कि हम सभी लोग इतने वर्षों में चुनाव से यहां तक नहीं आए हैं, बल्कि चयन की प्रक्रिया से होकर आए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी, कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर, हरीश रावत और कुछ अन्य नेताओं ने गहलोत की बात का समर्थन किया। सूत्रों का कहना था कि गहलोत ने भले ही किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन आनंद शर्मा ने उनके कथन का प्रतिवाद करते हुए कहा कि यह उनके लिए अपमानजनक है। इस पर अंबिका सोनी ने कहा कि गहलोत किसी नेता की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि भावनात्मक मुद्दा उठा रहे हैं।
राहुल गांधी ने कहा कि वह सबकी भावनाओं का सम्मान करते हैं और चुनाव कराकर इस मुद्दे को यहीं खत्म किया जाए तथा आगे पार्टी को किसानों के मुद्दे और राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय पर जोर देना है। एक सूत्र ने बताया कि हरीश रावत और कुछ अन्य नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की पैरवी की। सूत्रों ने कहा कि बैठक में गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने संगठन के चुनाव की मांग फिर दोहराई।
उधर, सीडब्ल्यूसी की बैठक में वरिष्ठ नेताओं के बीच तीखी बहस की खबरों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘बैठक में कोई उत्तेजना नहीं थी और बहस भी नहीं हुई।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आनंद शर्मा जी, आजाद साहब और चिदंबरम जी, या कोई और हो, वो विरोधी स्वर में बोलने वाले नहीं है, बल्कि परिवार के सदस्य हैं। सबके आग्रह पर निर्णय लिया गया है कि चुनाव कार्यक्रम को थोड़ा आगे कर दिया जाए।’’
आपको बता दें कि कांग्रेस के नेताओं के बीच टकराव की शुरुआत पिछले साल अगस्त में उस वक्त आरंभ हुई थी जब गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा समेत 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि कांग्रेस का सक्रिय नेतृत्व होना चाहिए और संगठन में व्यापक बदलाव होना चाहिए। इस पत्र को कांग्रेस में कई नेताओं ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व विशेषकर गांधी परिवार को चुनौती के रूप में लिया। बिहार विधानसभा चुनाव और कुछ राज्यों के उप चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद एक बार फिर आजाद और कपिल सिब्बल जैसे कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के सक्रिय अध्यक्ष की नियुक्ति की मांग उठाई। जिसके बाद से पार्टी के अंदर दो खेमों में नेता बटे नजर आ रहे हैं।