असम के मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को राज्य के अल्पसंख्यक मुस्लिम लोगों से जनसंख्या नियंत्रण के लिए एक अच्छी परिवार नियोजन नीति अपनाने की अपील की। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के 30 दिन पूरे होने के मौके पर कहा कि समुदाय में गरीबी कम करने में मदद के लिए सभी पक्षकारों को आगे आना चाहिए और सरकार का समर्थन करना चाहिए। गरीबी की वजह जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि है।
असम के मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि जनसंख्या नीति पहले से ही है और यह सरकारी नौकरियों की तरह जल्द ही प्रभावी होगी। पिछली विधानसभा में जनसंख्या नीति लागू भी की गई थी, लेकिन सरकार अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लिए जनसंख्या का बोझ कम करने के लिए काम करना चाहती है।
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ''हम जनसंख्या के बोझ को कम करने के लिए अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के लिए और काम करना चाहते हैं। हम उनके साथ मिलकर काम करना चाहते हैं, ताकि राज्य में जनसंख्या को नियंत्रित किया जा सके। जनसंख्या गरीबी, भूमि अतिक्रमण जैसे सामाजिक खतरे की मुख्य जड़ है और हम इस सामाजिक खतरे की मुख्य जड़ है और हम इस सामाजिक खतरे को कम कर सकते हैं यदि जनसंख्या कम हो जाए।''
असम में 2011 की जनसंख्या के अनुसार कुल 3.12 करोड़ की आबादी में से मुस्लिम आबादी 34.22 फीसदी है और कई जिलों में यह समुदाय बहुसंख्यक है। वहीं ईसाई राज्य की कुल आबादी का 3.74 फीसदी हैं जबकि सिख, बौद्ध और जैन की आबादी एक फीसदी से भी कम है। राज्य में तीन जिलों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को कथित तौर पर अतिक्रमित जमीन से हटाने की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार मंदिर, सत्रों (वैष्णव संस्थाओं) और वन भूमि का अतिक्रमण नहीं करने दे सकती और समुदाय के सदस्यों ने भी सरकार को आश्वस्त किया है कि वे इन भूमि का अतिक्रमण नहीं चाहते।
मुख्यमंत्री ने समुदाय के नेताओं से आत्मावलोकन करने और लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया। सरमा ने कहा कि जब बढ़ती आबादी की वजह से रहने के लिए जगह कम पड़ने लगता है कि तो भूमि अतिक्रमण की शुरुआत होती है। उन्होंने अतिक्रमित जमीन खाली कराने के लिए सरकार की आलोचना के बदले समुदाय के नेताओं से आत्मावलोकन करने और लोगों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रेरित करने का अनुरोध किया।
सरमा ने आगे कहा कि उनकी सरकार अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी, ताकि समस्या का सही तरीके से समाधान किया जा सके। असम के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उनकी सरकार किसी को भी सत्र, नामघरों, पवित्र स्थानों, जंगल की जमीन पर कब्जा नहीं करने देगी और समुदाय के नेताओं ने सरकार को आश्वासन दिया है कि वे इन स्थानों पर अतिक्रमण नहीं करेंगे।