पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, असम, केरल और पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे रविवार 2 मई को मतगणना के बाद घोषित किए गए। इन पांचो राज्यों में सबसे ज्यादा गर्मागर्मी पश्चिम बंगाल में रही, यहां पर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली बीजेपी की सिधी टक्टर थी। हालांकि पश्चिम बंगाल में ममता तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी हैं, लेकिन यहां पर सबसे ज्यादा चर्चा मुस्लिमों वोटरों की हुई। और पश्चिम बंगाल से तो TMC ने 42 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें से 41 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है।
बंगाल में TMC के लिए मुस्लिमों का जबरदस्त ध्रुवीकरण
पश्चिम बंगाल में अकेले तृणमूल कांग्रेस ने 42 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था, जिसमें से मात्र एक की ही हार हुई है। साथ ही ISF को भी 1 सीट मिली, जिससे राज्य में मुस्लिम विधायकों की संख्या 42 है। मुस्लिमों का ममता बनर्जी की तरफ इस कदर झुकाव है कि 5 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM एक सीट जीत नहीं सकी। औऱ 40 सीटों पर कांग्रेस और CPI के समर्थन में लड़ने वाली सिद्दीकी की ISF को मात्र 1 सीट पर जीत हासिल हुई। इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुस्सिम वोटरों में ममता बनर्जी का कितना पैठ है।
असम में BJP के आठों मुस्लिम उम्मीदवार हारे
असम में भी पश्चिम बंगाल की तरह अधिकतर क्षेत्रों में मुस्लिमों और घुसपैठियों का दबदबा रहा है। यहां पर पिछली बार 29 मुस्लिम विधायक जीते थे, नव-निर्वाचित विधानसभा में मुस्लिमों की संख्या 31 होगी। नए मुस्लिम विधायकों में से 16 कांग्रेस और 15 मौलाना बदरुद्दीन अजमल की AIUDF के हैं। यहां से भाजपा ने आठ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था लेकिन बीजेपी के खाते में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं आ सका।
केरल में कांग्रेस की गठबंधन वाली IUML के जीते 15 मुस्लिम उम्मीदवार
केरल में मुस्लिम और ईसाई समुदाय के बीच टक्टर होती है और यहां भी कांग्रेस ने एक और इस्लामी पार्टी IUML (मुस्लिम लीग) के साथ गठबंधन किया था। 140 सदस्यीय विधानसभा में यहां 32 मुस्लिम उम्मीदवारों को जीत मिली है। इनमें से 15 तो अकेले IUML के ही हैं। बाकी के 3 कांग्रेस और 9CPI(M) के हैं।
तमिलनाडु और पुडुचेरी में मुस्लिम विधायक
तमिलनाडु विधानसभा की 234 सीटों में से मात्र 5 ही मुस्लिमों के खाते में गए। वहीं पुडुचेरी में मात्र एक मुस्लिम विधायक ने जीत हासिल की। असदुद्दीन ओवैसी ने कई सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। इन पाचों राज्यों में कुल 111 नए मुस्लिम विधायक होंगे।