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इकबाल अंसारी: Ayodhya Ram Mandir के लिए दिया गुप्त दान, कभी बाबरी मस्जिद के लिए लड़ी थी लड़ाई

Iqbal Ansari

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि अभियान चलाया गया। इस अभियान के जरिए राम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए लगभग 2100 करोड़ रुपये मिले। अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर निर्माण के विरोधी और बाबरी मस्जिद (Mashjid) के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी ने राम मंदिर निर्माण के लिए गुप्तदान किया है। इकबाल अंसारी ने अपने वालिद व बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार हाजी मोहम्मद हाशिम अंसारी, पत्नी, बेटे और बेटी सहित अपने नाम का कूपन कटवाया है। इकबाल अंसारी कभी विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाए जाने के खिलाफ थे। लेकिन अब उन्हों ने मंदिर के लिए दान देकर सभी को चौंका दिया है।

अंसारी ने राधाकृष्ण की फोटो वाले लिफाफा में अंशदान धन रखकर समर्पण निधि समर्पित किया है। अंसारी ने लिफाफे पर अपने हाथ से राम मंदिर समर्पण निधि लिखा है। इस अवसर पर इकबाल अंसारी ने कहा कि अयोध्या में भव्य राममंदिर निर्माण से देश की तरक्की का रास्ता खुलेगा और इससे राष्ट्रीय एकता भी सुनिश्चित होगी। उन्होंने दान दी गई धनराशि का ब्योरा देने से साफ इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह तो आस्था का विषय है। इसे गोपनीय ही रहने दें। उन्होंने कहा कि हमारा मजहब इस्लाम कहता है कि दान गुप्त ही देना चाहिए। एक हाथ से दिया गया दान दूसरे हाथ को मालूम नहीं हो, उनका कहना है कि धर्म के कार्य के लिए सभी को दान करना चाहिए, दान लेना हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों में मान्य है।

इकबाल अंसारी ने कहा कि अगर मौका मिला तो वह भी रामलला के मंदिर के लिए श्रमदान करेंगे। अंसारी ने कहा था कि वह चाहते हैं कि देश में अमन शांति रहे। दोनों धर्मों के बीच भाईचारा रहे इसके लिए वह दुआ भी करते हैं। भले ही इकबाल अंसारी बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहें हो पर उन्होंने हमेशा भाईचारा की बात ही है। इससे पहले जब राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना सुप्रीम फैसला नहीं सुनाया था, तब भी वह भाईचारे की बात करते थे।

देश भर में 15 फरवरी को शुरु हुए निधि समर्पण अभियान में राष्ट्रपति, उप राष्ट्रपति तथा कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसमें अपना योगदान दिया। यहां के श्रीराम मंदिर के लिए दुनिया का सबसे बड़ा धनराशि संग्रह अभियान संत रविदास जयंती यानी शनिवार 27 फरवरी को पूर्ण हो गया। अभियान 15 जनवरी मकर संक्रांति के दिन शुरू होकर माघी पूर्णि पर समाप्त हुआ।