अयोध्या के धन्नीपुर गांव में प्रस्तावित मस्जिद बन रहा है। इस मस्जिद के परिसर में एक अस्पताल भी होगा। इस भव्य मस्जिद का नाम फाइनल हो गया है। मस्जिद का नाम प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी मौलवी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी के नाम पर रखा जाएगा। अहमदुल्ला शाह फैजाबादी एक क्रांतिकारी थे। इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) ने बताया कि 1857 की क्रांति के बाद दो साल से अधिक समय तक अवध को ब्रिटिश प्रभुत्व से मुक्त रखने के लिए फैजाबादी ने यहां 'स्वतंत्रता का प्रकाशस्तंभ' जलाया था, इसलिए मस्जिद, अस्पताल, संग्रहालय, अनुसंधान केंद्र और सामुदायिक रसोई सहित पूरी परियोजना को उन्हें समर्पित करने का निर्णय लिया गया है।
IICF के सचिव अतहर हुसैन ने कहा, 'उनके शहीद दिवस पर, हमने उनके नाम पर पूरी परियोजना का नाम रखने का फैसला किया है। जनवरी में, हमने मौलवी फैजाबादी को शोध केंद्र समर्पित किया, जो हिंदू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक थे। स्वतंत्रता की पहली लड़ाई के 160 साल भी अहमदुल्ला शाह फैजाबादी को भारतीय इतिहास में अभी तक उनका हक नहीं मिला है। मस्जिद सराय, फैजाबाद, जो 1857 के विद्रोह के दौरान मौलवी का मुख्यालय था, एकमात्र जीवित इमारत है जो उनके नाम को संरक्षित करती है।'
हुसैन ने कहा कि एक ब्रिटिश एजेंट ने उन्हें मार दिया था। उन्हें मारने के बाद उनका सिर और धड़ अलग-अलग जगह दफनाए गए ताकि उनकी कब्र पर मकबरा न बनाया जा सके। मस्जिद के ट्रस्टी कैप्टन अफजाल अहमद खान ने कहा, 'अंग्रेजों को डर था कि मौलवी की मौत भी उनके लिए उतनी ही खतरनाक होगी, जितना वह जिंदा रहते थे। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भले ही जॉर्ज ब्रूस मैलेसन और थॉमस सीटन जैसे ब्रिटिश अधिकारियों ने उनके साहस, वीरता और संगठनात्मक का उल्लेख किया है लेकिन हमारे स्कूल और कॉलेज की पाठ्यपुस्तकों में उन्हें स्थान नहीं दिया गया।'
नवंबर 2019 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में मुसलमानों को दी गई पांच एकड़ जमीन पर अयोध्या मस्जिद और अस्पताल परियोजना का निर्माण किया जाएगा। सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा गठित IICF ट्रस्ट ने मुगल बादशाह बाबर के नाम पर मस्जिद का नाम नहीं रखने का फैसला लिया था।