'ऑप्रेशन बंदर' का नाम सुनते ही पाकिस्तान की फौज और सरकार दोनों कांप उठते हैं। वैसे भी पाकिस्तान इस समय बेहद कठिन दौर से गुजर रहा है। बीती यानी गुरुवार की रात एफएटीएफ ने इमरान खान की नींद उड़ाने वाला फैसला सुनाया तो आज ऑप्रेशन बंदर की दूसरी बरसी ने इमरान खान पाकिस्तान की सेना रात भर जागती रही। दो साल पहले 26 फरवरी 2019 को तड़के भारतीय वायुसेना के विमानों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर बालाकोट (Balakot Air Strike) में आतंकवादियों के कैम्पों को निशाना बनाया था। भारत ने पाकिस्तान को 14 फरवरी को पुलवामा (Pulwama Attack) में हुए कायराना आतंकवादी हमले का करारा जवाब दिया था। पाकिस्तान में घुसकर किए गए इस हमले में 300 आतंकी मारे गए थे। पाकिस्तान को भारत ने इतनी गहरी चोट दी है कि आज भी उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
ध्यान रहे, 14 फरवरी 2019 को जम्मू कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के जवानों के काफिले पर कायराना आतंकियों ने हमला किया था। जैश-ए-मोहम्मद के जिम्मेदारी लिए जाने के बाद से ही हमले का बदला लेने के लिए तैयारी शुरू हो गई।
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में तीनों सेनाओं ने रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया। वायु सेना के तत्कालीन प्रमुख बी एस धनोआ ने सरकार के सामने एयर स्ट्राइक करने का विकल्प रखा, जिसे मंजूर कर लिया गया। इसके बाद तैयारी शुरू हो गई। दिन गिने जाने लगे। जगह चुन लिया गया। पीओके का बालाकोट, जहां पर कई सारे आतंकी कैंप होने के इनपुट मिले थे। एलओसी के पास सर्विलांस शुरू कर दिया गया। वायुसेना के विमान लगातार पाकिस्तानी इलाकों में चल रहे कैम्प्स के बारे में जानकारी जुटाने लगे। इस काम में खुफिया एजेंसियां भी मदद कर रही थीं।
सब कुछ तय हो जाने के बाद 26 फरवरी को भारतीय सेना के मिराज विमानों ने तड़के 3 बजे के करीब पीओके बालाकोट इलाके में चल रहे आतंकी शिविरों पर हमला कर दिया। पाकिस्तान को इस हमले की भनक तक नहीं लग सकी। स्ट्राइक में 300 आतंकियों के मारे जाने का दावा किया गया था।