उत्तर भारत के कई राज्यों में आज बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इस वर्ष 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी पर्व देश में सर्वत्र मनाया जायेगा। हिन्दू मान्यता के आधार पर मां वाग्देवी (सरस्वती) की आराधना से बुद्धि की निर्मलता एवं विद्या की प्राप्ति होती है। इस दिन लोग खासकर छात्र-छात्रा विद्या की देवी सरस्वती की आराधना करते हैं। बच्चों की शिक्षा प्रारंभ करने या किसी नई कला की शुरुआत के लिए इस दिन को काफी शुभ माना जाता है। श्रद्धालु इस दिन पीले, बसंती या सफेद वस्त्र धारण करते हैं और विद्या की देवी का पूजन करते हैं।
कैसे करें पूजा अर्चना
श्रद्धालु स्नान करने के बाद पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। अपने ठीक सामने पीला वस्त्र बिछाकर मां सरस्वति की मूर्ति को उस पर स्थापित करें। जिसके बाद रोली मौली, केसर, हल्दी, चावल, पीले फूल, पीली मिठाई, मिश्री, दही, हलवा आदि का प्रसाद मां के सामने अर्पित कर ध्यान में बैठ जाएं। मां सरस्वती के पैरों में श्वेत चंदन लगाएं. पीले और सफेद फूल दाएं हाथ से उनके चरणों में अर्पित करें और ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः का जाप करें. शिक्षा की बाधा का योग है तो इस दिन विशेष पूजन करके उससे छुटकारा पाया जा सकता है।
पूजन हेतु शुभ मुहूर्त
अबूझ मुहूर्त प्रायः उत्तरा भाद्र पद सूर्य नक्षत्र और रेवती बुध नक्षत्र में हर वर्ष बसंत पंचमी या सरस्वती जयंती आती है। श्री काशीस्थ गणेश आपा पंचांग के अनुसार 16 फरवरी को प्रातः 04:44 बजे पंचमी तिथि लगेगी तथा अगले दिन 17 फरवरी को दिनभर रहेगी। इस प्रकार पंचमी तिथि 16 फरवरी को पूरे दिन रहेगी। प्रातः 10:54 बजे से 12:21 बजे एवं 12:21 बजे से 13:47 बजे मध्यान्ह में मां सरस्वती की आराधना उपासकों को एवं विद्या अर्जन कर रहे बालकों हेतु पूर्ण फलदायी होगी।
पूजन विधि
चौकी में रखी हुई मां सरस्वती की प्रतिमा में पीले रंग का वस्त्र अर्पित करें
मां शारदा को सफेद रंग के पुष्प, पीली मिठाई और अक्षत, रोली चंदन हल्दी तथा केसर आदि की तिलक अर्पित करें।
संगीत आदि वाद्य यंत्र एवं किताबों पर पुष्पादि अर्पित करें।
मां शारदा की वन्दना/प्रार्थना करें।
या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नमः।।