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Bengal Vidhansabha Chunav 2021: ममता को हराने के लिए बीजेपी के सामने दो चुनौती, समझना होगा नंबर गेम

बंगाल विधानसभा चुनाव 2021

बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला वोट प्रतिशत बरकरार रखना होगा तभी बीजेपी का आंकड़ा 115 सीटों को छुएगा और तभी बीजेपी सत्त्ता के करीब होगी। और ध्यान ये भी देना है कि अगर बीजेपी 2019 के लोकसभा इलेक्शन की तर्ज पर 6.5 प्रतिशत के मार्जिन से नुकसान में जाती है तो बंगाल में बीजेपी हार तक देखने को मिल सकती है। ऐसे में बीजेपी के सामने दो चुनौती हैं।

  • पहली चुनौती- किसी भी हाल में बीजेपी को +2% का स्विंग बरकरार रखना है।
  • दूसरी चुनौती- 6.5 प्रतिशत के मार्जिनल नुकसान की भरपाई करना।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी को समझना होगा आंकड़ों का खेल

बीजेपी 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला वोट प्रतिशत बरकरार रखती है तो बीजेपी पश्चिम बंगाल में 115 सीट तक पहुंच सकती है। लेकिन ये होगा कैसे? 

बीजेपी 2019 के लोकसभा इलेक्शन की तर्ज पर 6.5 प्रतिशत के मार्जिन से नुकसान में जाती है तो बंगाल में बीजेपी को 57 सीटें मिलेंगी। और टीएमएस एक बार फिर बड़ी जीत के साथ पश्चिम बंगाल की कमान संभालेगी। और ये समीकरण कैसे बनेगा और किस आधार पर बनेगा इसे समझने के लिए हमें 2019 के आंकड़ों को समझना होगा। पश्चिम बंगाल का चुनाव बीजेपी के लिए करो या मरो की स्थिति में है तो टीएमसी के लिए भी इससे कम नहीं।

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी टीएमसी का मुकाबला काफी नजदीकी रहा। 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी की लहर थी। जिसका फायदा उसे बंगाल में विधानसभा के चुनावों में भी मिला। और वहीं अगर 2019 से महज तीन साल पहले के आंकड़े पर नजर डाले तो बीजेपी के खाते में कुल 6 सीटें ही थीं। जो इस बात की तस्दीक करता है कि बीजेपी ने बंगाल में 2016 के बाद से तेजी से अपने आप को मजबूत किया है। लेकिन टीएमसी बंगाल में कमजोर हो गयी हो, ऐसा नहीं है। लेकिन सच ये भी है कि 2016 के मुकाबले 2019 में मिली बीजेपी की कामयाबी इस बात को ठोस प्रमाण है कि अगर बीजेपी ने इसी तरह से बंगाल में मजबूती बनाई तो नतीजे बीजेपी के पक्ष में भी जा सकते हैं।

2019 में बीजेपी को लोकसभा चुनाव में मिली थी कामयाबी

 

बंगाल चुनाव 2016 विधानसभा वोट प्रतिशत 2019 लोकसभा चुनाव वोट प्रतिशत
टीएमसी 45  44
बीजेपी+ 11 41
कांग्रेस 12.3 6
लेफ्ट  27.3 7
अन्य  5 3

 

बीजेपी को पड़े वोट प्रतिशत और टीएमसी के वोट प्रतिशत पर नजर डाली जाए तो बीजेपी टीएमसी से काफी आगे दिखाई देती है। बीजेपी+ के मुकाबले पश्चिम बंगाल में लेफ्ट पार्टी को ज्यादा वोट पड़ते दिख रहे हैं। उसके बाद कांग्रेस को को विधानसभा चुनाव में बढ़त दिखाई देती है जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में 6 प्रतिशत ही वोट पड़े। टीएमसी और बीजेपी के वोट प्रतिशत पर अगर बारीकी से नजर दौड़ाई जाए तो टीएमसी को विधानसभा में 45 प्रतिशत और लोकसभा में 44 प्रतिशत वोट पड़े। और बीजेपी को 2016 में 11 प्रतिशत और 2019 में 41 प्रतिशत लोकसभा के चुनाव में वोट पड़े। जो टीएमसी के लिए बेशक चिंता का विषय है।

बीजेपी अगर 2019 का इतिहास दोहराती है तभी मिलेगी बंगाल की सत्ता की चाबी

आंकड़ों की बात करें और 2019 के लोकसभा चुनाव के वोट प्रतिशत को देखा जाए तो +2% का स्विंग और रिवर्स स्विंग बीजेपी को वैसी कामयाबी होते नहीं दिखाता। यानी बीजेपी को पश्चिम बंगाल में या तो +2% के स्विंग के ऊपर जाना होगा या फिर टीएमसी के वोट शेयर को काटना होगा। दोनों ही स्थिति में बंगाल में बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होने वाली। लेकिन ये कठिन तभी है जब बीजेपी हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाए। लेकिन फिलहाल बीजेपी अपने पश्चिम बंगाल में पूरे जोरशोर से प्रचार में लगी है जो बीजेपी को एक पॉजिटिव टर्न दे सकता है।

जीत की चाबी

बीजेपी को बंगाल में पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आने के लिए 2019 के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करना ही है। साथ ही +2% की बढ़त भी हासिल करनी होगी। जिसके बाद बीजेपी 155 सीटों का आंकड़ा पश्चिम बंगाल में छू पायेगी। और ये वो आंकड़ा भी है जिसपर बीजेपी महज सत्ता हासिल करने के करीब तक ही पहुंच सकती है। क्योंकि अगर बीजेपी 155 का आंकड़ा पर कर भी लेती है तो टीएमसी भी 130 सीट का आंकड़ा पर करेगी, ऐसे में टीएमसी और बीजेपी को सत्ता में आने के लिए एकदूसरे से कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।  और अगर इसका उलटा होता है तो बीजेपी 100 सीटों पर ही सिमट कर रह जाएगी और ऐसे में टीएमसी को +2% का अगर फायदा होता है तो टीएमसी 191 सीटों पर विजय हासिल कर ले जाएगी। और सत्ता में वापसी कर ले जाएगी। जो 65% का वोट शेयर होगा

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों का। आंकड़ों पर नज़र डाले तो ये भी साफ होता है कि महज +2% के उलटफेर से ही हार जीत का आंकड़ा बीजेपी के खिलाफ और टीएमसी के फेवर में जा सकता है। और यहीं आंकड़ा बीजेपी के फेवर में और टीएमसी के लिए सत्ता में वापसी का रास्ता तो रोक सकता है।