यह जानते हुए भी कि कृषि कानून किसानों और बाजार के खिलाफ नहीं हैं, फिर भी भारत की 11 विपक्षी पार्टियों और विभिन्न संगठनों 8 तारीख केभारत बंद <strong>(Bharat Bandh)</strong> को समर्थन देने का ऐलान किया है। ऐसा लग रहा है कि भारत बंद <strong>(Bharat Bandh)</strong> को समर्थन देने वालों ने आंखें मूंद ली हैं और दिमाग को स्वार्थ के ताले में बंद कर दिया है। हालांकि, भारतीय किसान मजदूर संघ ने भारत बंद <strong>(Bharat Bandh)</strong> दूर रहने का ऐलान किया है।भारत बंद <strong>(Bharat Bandh) </strong>के दौरान दूध और दवा और अन्य आवश्यक सामग्री के बंद का आह्वान करने वाले योगेन्द्र यादव को सोशल मीडिया पर जम कर लताड़ा जा रहा है। भारत बंद <strong>(Bharat Bandh)</strong> के आह्वान की जानकारी होने के बाद भी सरकार की ओर ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि <a href="https://en.wikipedia.org/wiki/Indian_farm_reforms_2020"><strong><span style="color: #000080;">कृषि कानूनों</span></strong></a> किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा। एमएसपी और मंडी समितियों के बारे में जो भ्रम फैला है उसको खत्म करने के लिए सरकार लिखित तौर देने के लिए तैयार है। कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर भी जो भ्रम फैले या फैलाए गए हैं उन पर सरकार ने लिखित आश्वासन का वादा किया है।
बहरहाल, नए कृषि कानूनों के खिलाफ विपक्षी दलों समेत कई क्षेत्रीय संगठनों ने किसान संगठनों की ओर से 8 दिसंबर को किए गए ‘भारत बंद’ के आह्वान को अपना समर्थन दिया है। इन कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर <a href="https://hindi.indianarrative.com/india/kisan-andolan-2020-intruders-sneaked-between-farmers-agencies-on-alert-20244.html"><strong><span style="color: #000080;">किसानों का आंदोलन</span> </strong></a>पिछले 12 दिन से जारी है। किसान केंद्र सरकार की तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के प्रमुख एम के स्टालिन तथा गुपकर घोषणापत्र गठबंधन (पीएजीडी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला समेत प्रमुख विपक्षी नेताओं ने रविवार को एक संयुक्त बयान जारी कर किसान संगठनों द्वारा बुलाये गये ‘भारत बंद’ का समर्थन किया और केंद्र पर प्रदर्शनकारियों की वैध मांगों को मानने के लिये दबाव बनाया।
सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच शनिवार को पांचवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही थी। इसके बाद केंद्र ने गतिरोध समाप्त करने के लिए 9 दिसंबर को एक और बैठक बुलाई है। किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने कहा, ‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं है, बल्कि पूरे देश का है। हम अपने आंदोलन को मजबूत करने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है।’ उन्होंने सभी से बंद को शांतिपूर्ण बनाना सुनिश्चित करने की अपील करते हुए कहा, ‘‘चूंकि सरकार हमारे साथ ठीक से व्यवहार नहीं कर रही थी, इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया।’
कांग्रेस, टीआरएस, द्रमुक, शिवसेना, सपा, राकांपा और आप ने केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के ‘भारत बंद’ के आह्वान के प्रति अपना समर्थन जताया। इन विपक्षी पार्टियों से पहले शनिवार को तृणमूल कांग्रेस, राजद और वाम दलों ने भी बंद का समर्थन किया था। दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भी बंद का समर्थन किया है।
कांग्रेस ने ‘भारत बंद’ के प्रति पूरा समर्थन जताया और घोषणा की कि इस दिन वह किसानों की मांगों के समर्थन में सभी जिला एवं राज्य मुख्यालयों में प्रदर्शन करेगी। दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं यहां घोषणा करना चाहता हूं कि कांग्रेस आठ दिसंबर को होने वाले भारत बंद को पूरा समर्थन देती है।’’.