उत्तराखण्ड में बीजेपी सरकार में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। इसी साल 9 मार्च को त्रिवेंद्र विक्रम सिंह रावत के इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया था। उस समय यह समझाया गया था त्रिवेंद्र विक्रम सिंह के रवैये से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष है। अफसरशाही भी त्रिवेंद्र विक्रम के काबू में नहीं है। पार्टी हाई कमान को बताया गया था कि अगर प्रदेश में मुख्यमंत्री नहीं बदला गया तो अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा। आनन-फानन में पर्यवेक्षक के तौर पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमनसिंह को भेजा गया और चुपचाप त्रिवेंद्र विक्रम सिहं से इस्तीफा ले लिया गया और उन्होंने तीरथ सिंह रावत का नाम नेता विधायकदल के रूपमें प्रस्तावित किया।
पिछले कुछ दिनों से यह अफवाह तो चल रहीं थी कि तीरथ सिंह रावत इस्तीफा दे सकते हैं। यह अफवाहें आज सच भी साबित हो गईं। तीन दिनों से दिल्ली में डटे तीरथ सिंह रावत के देहरादून वापस पहुंचते ही संकेत दे दिए कि वो इस्तीफा देने वाले हैं।
तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने चुनाव की रणनीति पर अमल शुरू किया ही था, कि तीरथ सिंह अपने बयानों से विवादों में आ गए। कुंभ व कोरोना में उनके पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन वह बेहतर काम करते हुए भी नहीं दिखे। पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा ने सभी सरकारों के कामकाज का आकलन किया को उत्तराखंड उसमें भी पीछे रहा।
हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व यह पहले ही तय कर चुका था कि चुनावों में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री होने के बाद भी चेहरा नहीं होंगे। यह बात भी सामने आई कि तीरथ सिंह रावत के रहते और दिक्कतें बढ़ सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि नेतृत्व ही बदला जाए और किसी प्रभावी व तेजतर्रार विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए। सूत्रों के अनुसार भाजपा में भावी नेतृत्व के लिए जो नाम उभरे हैं उनमें सतपाल महाराज व धन सिंह रावत और हरक सिंह रावत के नामों की चर्चा है। इसके पहले दिल्ली से देहरादून रवाना होने से पहले तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर काम करेंगे।
पिछले कुछ दिनों से यह अफवाह तो चल रहीं थी कि तीरथ सिंह रावत इस्तीफा दे सकते हैं। यह अफवाहें आज सच भी साबित हो गईं। तीन दिनों से दिल्ली में डटे तीरथ सिंह रावत के देहरादून वापस पहुंचते ही संकेत दे दिए कि वो इस्तीफा देने वाले हैं।
तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाकर पार्टी ने चुनाव की रणनीति पर अमल शुरू किया ही था, कि तीरथ सिंह अपने बयानों से विवादों में आ गए। कुंभ व कोरोना में उनके पास करने को ज्यादा कुछ नहीं था, लेकिन वह बेहतर काम करते हुए भी नहीं दिखे। पश्चिम बंगाल के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा ने सभी सरकारों के कामकाज का आकलन किया को उत्तराखंड उसमें भी पीछे रहा।
हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व यह पहले ही तय कर चुका था कि चुनावों में तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री होने के बाद भी चेहरा नहीं होंगे। यह बात भी सामने आई कि तीरथ सिंह रावत के रहते और दिक्कतें बढ़ सकती है, इसलिए बेहतर होगा कि नेतृत्व ही बदला जाए और किसी प्रभावी व तेजतर्रार विधायक को मुख्यमंत्री बनाया जाए। सूत्रों के अनुसार भाजपा में भावी नेतृत्व के लिए जो नाम उभरे हैं उनमें सतपाल महाराज व धन सिंह रावत और हरक सिंह रावत के नामों की चर्चा है। इसके पहले दिल्ली से देहरादून रवाना होने से पहले तीरथ सिंह रावत ने कहा कि वह शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर काम करेंगे।