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Bihar Political News: बिहार की राजनीति में लालू यादव की साढ़े तीन साल बाद डाइरेक्ट एंट्री, सत्तापक्ष में हलचल

बिहार राजनीति में हलचल

जेल से बाहर आते ही लालू प्रसाद यादव बिहार की राजनीति में सक्रिए हो गए हैं। लालू ने डायरेक्ट एंट्री मारते हुए पार्टी के सभी विधायकों और नेताओं की मीटिंग बुलाई है। हालांकि यह मीटिंग वर्चुअल है लेकिन लालू की इस डायरेक्ट एंट्री से सत्तापक्ष में हलचल देखी जा रही है। लालू यादव 2024के लोकसभा चुनावों के लिए अभी से पार्टी को सक्रिए करना चाहते हैं। इसके अलावा पिछले लगभग साढ़े तीन साल में पार्टी में जो गैप पैदा हुआ है उसको लालू भरने की कोशिश कर रहे हैं।

राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद आज (रविवार) नौ मई दोपहर दो बजे बिहार के सभी विधायकों एवं और हालिया विधानसभा चुनाव में हारे हुए राजद प्रत्याशियों से वर्चुअल रूबरू होंगे। इस दौरान वह संवाद भी करेंगे। उनके साथ नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह विशेष रूप से मौजूद रहेंगे। लालू यादव करीब 41महीने बाद राजद नेताओं के साथ एक साथ मीटिंग करेंगे।

राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने बताया कि यह कोई मीटिंग नहीं होगी़ कोरोना की महाआपदा में वह बतौर अभिभावक अपने प्रतिनिधियों और पदाधिकारियों के सामने रूबरू होंगे़ कोविड के संदर्भ में वह अपने विचार रखेंगे। प्रदेश अध्यक्ष ने बताया कि यह संवाद बेहद खास होगा, इसमें केवल जीते विधायक, हराये गये राजद प्रत्याशी, एमएलसी, राज्य सभा सदस्य ही मौजूद रहेंगे। उन्होंने बताया कि संवाद में शामिल होने वालों को बता दिया है कि इस वर्चुअल संवाद में वह लोग अपने घरों से सेल फोन के जरिये ही संवाद करेंगे। इस दौरान उनके परिवार का कोई भी सदस्य भी मौजूद नहीं रहना चाहिए़।

इधर, जदयू के मुख्य प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा है कि कोरोना महामारी के बीच राष्ट्रीय जनता दल जिस उत्साह के साथ वर्चुअल मीटिंग की तैयारी में जुटा है वह वाकई संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। एक तरफ जहां बिहार की जनता कोरोना से लड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ लालू प्रसाद(Lalu Yadav) और उनके पुत्र तेजस्वी यादव राजनीतिक एजेंडा तय करने के लिए वर्चुअल मीटिंग करने जा रहे हैं।

संजय सिंह ने कहा है कि तेजस्वी यादव को नहीं लगता है कि इस वर्चुअल मीटिंग को करप्शन मीटिंग का नाम देना चाहिए था। जब वक्ता भ्रष्टाचार के माहिर खिलाड़ी हों तो श्रोता के पास सुनने को और क्या होगा? जब डेढ़ दशक तक बिहार की सत्ता में रहकर उनलोगों ने कुछ भी नहीं किया तो अब जनता उनकी योग्यता पहचान कर विपक्ष में बैठा चुकी है तो वे क्या करेंगे? बीते साल विधानसभा चुनाव में राजद से कई नए चेहरे चुनाव जीतकर सदन पहुंचे। संभव है कि उनमें से कई को अबतक भ्रष्टाचार का एबीसीडी भी नहीं मालूम हो लेकिन वे कहीं बिगड़ न जाएं इसकी चिंता है।