बिहार की राजनीति में भूचाल देखने को मिल रहा है। चिराग पासवान को छोड़कर लोक जनशक्ति पार्टी के 6 में से बाकी सभी पांच सांसद बगावत पर उतर आए है। दरअसल, ये सभी सांसद चिराग पासवान से नाराज चल रहे है। जिसके चलते इन सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिखा है। पत्र में उन्होंने अपने गुट को अलग मान्यता देने की मांग की है। हैरान करने वाली बात ये है कि इन सांसदों के नेता खुद चिराग के चाचा पशुपति पारस है। यही नहीं, बगावत करने वालों में उन सांसदों के नाम भी शामिल है, जो कभी चिराग के खास कहे जाते थे।
इसमें चाचा पशपति पारस पासवान के अलावा चचेरे भाई प्रिंस राज, चंदन सिंह, महबूब अली केशर और वीणा देवी शामिल है। माना जा रहा है कि अलग गुट बनाकर ये सांसद जदयू के पाले में जा सकते है। सूत्रों की मानें तो लोजपा में बगावत की प्लानिंग तो पिछले विधानसभा चुनाव से ही शुरु हो गई थी। पशुपति पारस पासवान की अगुवाई में बगावत की खबरें भी आने लगी थी, लेकिन जब बवाल हुआ तो तो लेटर हेड पर इसका खंडन कर दिया था। उस वक्त तो लोजपा में फूट होने से बच गई, लेकिन सांसदों इसके लिए सही वक्त का इंतजार कर रहे थे।
अब जब उन्हें मौका मिला तो वो चिराग पासवान को बीच राजनीतिक मझधार में छोड़ कर जाने की तैयारी कर रहे है। आपको बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी अभी तक के अपने सबसे बड़े सियासी संकट से जूझ रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी-जदयू से अलग होकर चुनाव लड़ने का फैसला लेने के समय से ही सीएम नीतीश कुमार और जदयू के लोग चिराग से नाराज चल रहे थे। चुनावी नतीजों के बाद जदयू को साफ दिखा कि चिराग की पार्टी की वजह से उन्हें कई जगहों पर नुकसान का सामना करना पड़ा।
वहीं, विधानसभा चुनाव में लोजपा को सिर्फ एक सीट मिली। इतने खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के अंदर चिराग पासवान के खिलाफ नाराजगी बढ़ने लगी। अब उस नाराजगी को मूर्त रूप मिल रहा है। वैसे बिहार के राजनीतिक गलियारों में इसे चिराग के चाचा पशुपति पारस की राजनीतिक महत्वाकांक्षा से भी जोड़कर देखा जा रहा है। कुछ लोग केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी अटकलें लगा रहे हैं। बहरहाल, तस्वीर फिलहाल धुंधली है जिसे सोमवार को खुद पशुपति पारस पासवान मीडिया से रूबरू होकर इसे साफ कर सकते हैं।