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आठ साल बाद एक होंगे नीतीश-कुशवाहा, समझिए बिहार के लव-कुश समीकरण को

नीतीश कुमार और उपेंद्र कुशवाहा

बिहार में एक बार फिर राजनीति गर्म है। लगभग आठ साल के बाद दो पार्टियां फिर से एक होने जा रही है। नीतीश कुमार ( Nitish Kumar) और रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) फिर से एक हो रहे हैं। खबरों के मुताबिक 14 मार्च को RLSP का जेडीयू में विलय हो जाएगा। यह कयास तो कई महीनों से लगाए जा रहे थे कि कुशवाहा फिर से अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में करने जा रहे हैं। लेकिन उससे पहले ही RLSP को बड़ा झटका लगा है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी के कई नेताओं ने अब राजद का दामन थामने का फैसला किया है। 

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र कुशवाहा, प्रदेश महासचिव निर्मल कुशवाहा, महिला सेल की प्रमुख मधु मंजरी कार्यकर्ताओं के साथ RJD  में शामिल हो रहे हैं। आपको बता दें कि बिहार में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भी RLSP के प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी ने उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़ दिया था। चुनाव नतीजों के बाद  राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष राजेश यादव और राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो। सुबोध मेहता भी पार्टी छोड़कर लालटेन का दामन थाम चुके हैं। 

कोयरी-कुशवाहा वोटरों का पर है नजर

लव-कुश (Luv-Kush) समीकरण के लिहाज से इस जोड़ी का मतलब है कोयरी-कुशवाहा और कुर्मी वोटरों (Koeri – Kushwaha and Kurmi Votes in Bihar) का एक हो जाना। कोयरी-कुर्मी वोट बैंक  लगभग 13 प्रतिशत का है और नीतीश कुमार की राजनीति कुर्मी चेतना रैली से ही शुरू हुई थी। विलय से पहले उपेंद्र कुशवाहा ने बातचीत में संकेत दिया कि विलय तय है। उन्होंने कहा, 13 और 14 मार्च को पटना में हमारी पार्टी की बैठक है। एजेंडे में नीतीश कुमार के साथ राजनीति बढ़ाना शामिल नहीं है लेकिन पार्टी में ऐसी मांग है तो उन बातों को भी सुनेंगे और 14 को ही अंतिम फैसला करेंगे।