कोरोना वायरस की दूसरी लहर जब दिल्ली में आई तो संक्रमण के मामले इतनी तेजी से बढ़ने लगे कि राजधानी में ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई। अस्पतालों में बेड की समस्या खड़ी हो गई। अरविंद केजरीवाल लगातार ऑस्सीजन की मांग करते रहे और विपक्ष केंद्र सरकार को जमकर खरी खोटी सुनाती रही लेकिन जैसे ही ऑडिट होने की बात हुई तो केजरीवाल सरकार की कुर्सी हिल गई। और अब राजधानी के पास अचालक ऑक्सीजन की समस्या खत्म हो गई। खत्म नहीं हुई बल्कि ऑक्सीजन सरप्लस हो गई कि दूसरे राज्यों को देने की बात होने लगी। अस्पतालों में धीरे धीरे बेड की संख्या बढ़ने लगी। इन्हीं सब पर BJP ने अब केजरीवाल सरकार पर आरोप लगाया है।
बीजेपी दिल्ली के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के बार-बार आग्रह करने के बाद भी केजरीवाल सरकार ऑक्सीजन उपलब्धता को लेकर गंभीर नहीं थी। उन्होंने कहा कि जैसे ही ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाया, वैसे ही केजरीवाल सरकार की 976 मीट्रिक टन की मांग घटकर 582 मीट्रिक टन पर आ गई क्योंकि इन्हें अपनी कलई खुलने का डर था।
आदेश गुप्ता ने कहा ऑक्सीजन ऑडिट होना चाहिए
आदेश गुप्ता ने कहा, जब दिल्ली में 90 हजार से 1 लाख कोरोना के केस थे, तब प्रतिदिन 433.1 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही थी और केजरीवाल सरकार 976 मीट्रिक टन की मांग कर रही थी। वहीं महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में 70-80 हजार कोरोना केस थे और वहां 230-300 मीट्रिक टन ऑक्सीजन आपूर्ति से ही कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा था।
ऑक्सीजन को लेकर केजरीवाल सरकार के बदलते रुख को देखते हुए अब दिल्ली की जनता की यह मांग है कि ऑक्सीजन ऑडिट होना चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि ऑक्सीजन वितरण को लेकर केजरीवाल सरकार का तरीका अव्यवस्थित और अनियमित था, जिसके कारण अस्पताल में भर्ती कोरोना मरीजों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऑक्सीजन ऑडिट के सिर्फ इशारे से ही दिल्ली में जरूरत कम कैसे हो गई, दिल्ली सरकार इसका जवाब दे।
बताते चलें कि, जब ऑडिट कराने की बात आई तो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रें से जरिए कहा कि, दिल्ली में ऑक्सीजन की जरूरत हर दिन 700 मीट्रिक टन से घटकर 582 मीट्रिक टन रह गई है और सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर कहा कि उसके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है तथा इसे दूसरे राज्यों को भी दिया जा सकता है। अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या और संक्रमण के मामले कम होने पर सरकार ने दोबारा मांग का हिसाब किया और अब 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है। हमने अतिरिक्त ऑक्सीजन दूसरे राज्यों को देने के लिए केंद्र को पत्र लिखा है। हमारी सरकार एक जिम्मेदार सरकार है।