कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। हर रोज हजारों लोग की मौत हो रही है। लोग कोरोना का आंतक तो झेल ही रहे है, लेकिन अब ब्लैक फंगस भी अपना खतरनाक रुप लेकर लोगों के बीच खौफ बनकर आ गया है। फंगल इंफेक्शन म्यूकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस कोरोना संक्रमित मरीजों को अपना निशाना जल्दी बना रहा है। ये इतना खतरनाक है कि इससे आंखों की रोशनी चले जाना का खतरा सबसे ज्यादा बना रहता है।
ब्लैक फंगस के ज्यादातर मामले महाराष्ट्र और गुजरात में सामने आ रहे है। डॉक्टरों की मानें तो ब्लैक फंगस का संक्रमण डायबिटीज से पीड़ित लोगों में ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसमें मृत्यु दर 50 फीसदी तक होती है। इसको लेकर नीति आयोग ने अपने बयान में कहा कि ब्लैक फंगस म्यूकर नाम के फंगस के कारण होता है जो गीले सतह पर पाया जाता है। ये बीमारी उन लोगों को हो रही है जो डायबिटीज से पीड़ित है। इसमें व्यक्ति को आंखों से धुंधला दिखाना या डबल विजन, नाक के ऊपर काले निशान बनने लगना, छाती में दर्द, सांस लेने में कठिनाई और खून की उल्टी होना जैसे लक्षण शामिल है।
आईसीएमआर यानी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च अपनी गाइडलाइंस में कहा कि ऐसे लक्षण दिखने पर उन्हें अनदेखा ना करें। कोविड से ठीक होने के बाद भी अपना ब्लड शुगर टेस्ट करते रहे और डायबिटीज को कंट्रोल करें। अनियंत्रित डायबिटीज वालों पर म्यूकर ज्यादा हमला करता है। डायबिटीज का मरीज अगर गीली सतह के संपर्क में आता हैं तो इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल कई बार खून में शुगर लेवल बढ़ा देता है और कुछ दवाओं का परिणाम इम्यूनिटी सिस्टम को भी कमजोर करता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, महाराष्ट्र में मुंबई और गुजरात समेत अन्य जगहों पर ब्लैक फंगस के मामले बढ़ रहे है। इससे पैनिक होने की जरूरत नहीं है बल्कि आपको इसे लेकर जागरूक होना पड़ेगा कि डॉक्टर से जल्द सलाह लें। साथ ही बिना डॉक्टर की सलाह के बिना किसी दवा का इस्तेमाल ना करें। महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में अब तक इलाज कराने वाले ऐसे 200 मरीजों में से 8 की म्यूकोरमाइकोसिस से मौत हो गई है। ये लोग ऐसे है जो कोरोना से ठीक हो गए थे, लेकिन फंगस इन्फेक्शन ने उनकी कमजोर इम्यूनिटी पर हमला बोला और इनकी जान ले ली।
वहीं गुजरात के चार बड़े शहरों में ब्लैक फंगस के करीब 300 मामले सामने आ चुके है। राज्य सरकार ने सरकारी अस्पतालों को आदेश दिया है कि ऐसे मरीजों के लिए अलग वॉर्ड में इलाज की व्यवस्था करें। देश में कोविड-19 आने से पहले भी म्यूकोरमाइकोसिस के मरीज आते थे, लेकिन ये संख्या बहुत कम थी।