विश्व स्तर में भारत महिला पायलट्स (Women Pilots) की हिस्सेदारी में सबसे आगे है। इस मामले में दुनिया के सबसे अमीर देश माने जाने वाले अमेरीका को भी भारत (India) ने पीछे छोड़ दिया है। भारत में वीमेन पायलेट्स 12.4 प्रतिशत है। वहीं, दुनिया में सबसे बड़े विमानन बाजार अमेरिका (America) में महिला पायलटों की संख्या 5.5%, जबकि ऑस्ट्रेलिया का 7.5 प्रतिशत, कनाडा का 7 प्रतिशत और ब्रिटेन में 4.7 प्रतिशत है।
26 साल की उम्र में दुनिया की पहली यंग कमर्शियल पायलट
साल 1989 में 26 साल की उम्र में निवेदिता भसीन (Nivedita Bhasin) भारत की ही नहीं विश्वभर की सबसे कम उम्र की कॉमर्शियल एयरलाइन कप्तान बनीं थी। निवेदिता का कहना है कि तीस साल पहले अक्सर लोग महिलाओं को प्लेन उड़ाते देखकर डर जाते थे, जिसकी वजह से उन्हें ज्यादातर समय कॉक पिट में गुजारने पड़ता था।
भसीन बताती हैं कि जब वे पायलट के तौर पर नियुक्त हुईं थीं तब उन्हें क्रू मेंबर्स जल्द से जल्द कॉकपिट में जाने का आग्रह करते थे, क्योंकि यात्रियों को इस बात के बारे में पता न चल जाए कि जिस विमान में वह यात्रा कर रहे हैं उसकी पायलट एक महिला हैं।
निवेदिता भसीन की जर्नी के बारे में बात करें तो उन्होंने 16 साल की उम्र में दिल्ली ग्लाइडिंग क्लब जॉइन किया था और बाद में वे पटना के एक फ्लाइंग स्कूल में शामिल हो गईं थीं। भसीन 20 साल की उम्र में इंडियन एयरलाइंस में पायलट के रूप में नियुक्त हो गईं थीं और उन्हें बोइंग 737 उड़ाने का मौका मिला।
उस दौरान वे एक साल के बच्चे की मां थीं, लेकिन उन्होंने उड़ान भरी और तब से उन्होंने आसमान छूना शुरू कर दिया। वह नवंबर 1985 में कलकत्ता – सिलचर मार्ग पर फ्रेंडशिप F-27 पर पहली सभी महिला चालक दल की उड़ान में सह-पायलट थीं। उन्होंने साल 2011 में एयरबस 300 की कमान संभालते हुए गृहयुद्ध के दौरान लीबिया में फंसे भारतीयों को भी बचाया।
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