विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य की ममता बनर्जी सरकार से रिपोर्ट मांगी है जिसके लिए राज्य सरकार को दो दिन का समय दिया है। बंगाल हिंसा पर दायर याचिका के विषय आदेशित करते हुए 5 जजों की पीठ ने यह आदेश दिया है।
वकील अनिंद्या सुंदर दास के द्वारा राज्य में हो रही हिंसा पर कार्रवाई की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दयार की थी जिसमे कहा गया कि राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद कानून व्यवस्था बिगड़ गई है और कोविड-19 महामारी के संकट के बीच राज्य में हो रही क्रूरता से लोगों में भय का माहौल है। याचिका में यह भी कहा गया कि, राज्य में कई हत्याएं हो चुकी हैं। कई राजनैतिक कार्यकर्ता और आम नागरिक डर के मारे राज्य छोड़कर जा रहे हैं। कई जिलों में हिंसा की खबरें सामने आने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।
सुंदर दास ने याचिका में यह भी कहा कि बंगाल में हो रही हिंसा पर राज्य पुलिस पर भी सवाल उठते हैं क्योंकि पुलिस ने परिस्थिति सामान्य करने और शांति स्थापित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया, अगर पुलिस कदम उठाती तो हिंसा इस स्तर पर नहीं होती। दास ने हिंसा की जांच करने के लिए SIT टीम गठित करने की मांग की है।
कलकत्ता हाई कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश जारी कर कहा है कि राज्य की ममता बनर्जी सरकार चुनाव बाद हुई हिंसाओं पर रिपोर्ट दे और इसके लिए 10 मई तक का समय दिया गया है। पीठ ने यह भी कहा है कि न्यायलय हिंसा की जांच के लिए SIT टीम गठिक करने की संभावनाओं पर भी विचार करेगी। मामले की अगली सुनवाई 10 मई को दोपहर 2 बजे होगी।
बताते चलें कि, पश्चिम बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं और कई अन्य व्यक्तियों के खिलाफ लगातार हिंसा जारी है। पश्चिम बंगाल से लगातार हत्या, लूटपाट, आगजनी औऱ मारपीट की खबरें आ रही हैं। हिंसा पर गृह मंत्रालय ने भी अपनी एक 4 सदस्यीय टीम बंगाल भेजी है जो इसकी जांच कर सीधे गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी। इस बीच बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने हिंसा की रिपोर्ट उन्हें सौंपने से राज्य के अधिकारियों को रोक दिया।