पर्यावरण को नुकसान और सैकड़ों हरे-भरे पेड़ों को काटने का भय दिखाते हुए सुप्रीम कोर्ट में सेंट्रल विस्टा के खिलाफ दायर याचिका बहस के बाद खारिज हो गई। सुप्रीम कोर्ट में LokPATH नाम की संस्था समेत लगभग 11 याचिकाएं डाली गईं थीं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और LokPATH के तर्कों को सुनने के बाद नई संसद बनाने की इजाजत दे दी।
मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। मंगलवार को अपना फैसला सुनाते हुए सप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी व अन्य अनुमति में कोई खामी नहीं है, ऐसे में सरकार अपने इस प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ सकती है। कोर्ट ने कहा है कि लैंड यूज बदलने में भी कोई खामी नहीं है।
इस मामले पर जस्टिस एएम खानिविल्कर, दिनेश माहेश्वरी और संजीव खन्ना की बेंच ने अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम सेंट्रल विस्टा परियोजना को मंजूरी देते समय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्माण कार्य शुरू करने के लिए धरोहर संरक्षण समिति की स्वीकृति आवश्यक है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला बहुमत का फैसला है। तीन जजों की बेंच में फैसला दो एक के बहुमत में है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कुछ बिंदुओं पर अलग विचार रखे हैं। उन्होंने प्रोजेक्ट की हिमायत की है, लेकिन लैंड यूज में बदलाव से सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि यह परियोजना शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी लेनी जरूरी थी।
गौरतलब है कि इसकी आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिलान्यास करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक कोई भी निर्माण या तोड़फोड़ नहीं किया जाए।
केंद्र की ये योजना 20 हजार करोड़ रुपये की है। 20 मार्च, 2020 को केंद्र सरकार ने संसद, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक जैसी संरचनाओं द्वारा चिह्नित लुटियंस दिल्ली के केंद्र में लगभग 86 एकड़ भूमि से संबंधित भूमि उपयोग में बदलाव को अधिसूचित किया था।.