उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम सात लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं। गंगा की सहायक नदियों- धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में बाढ़ से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दहशत फैल गयी और बड़े पैमाने पर तबाही हुई।
एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा परियोजना पनबिजली परियोजना को बड़ा नुकसान हुआ और उनके कई श्रमिक सुरंग में फंस गए। तपोवन परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है जबकि लगभग 125 अब भी लापता है। बाढ़ के रास्ते मे आने वाले मकान बह गए। निचले हिस्सों में मानव बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका हैं। कई गांव खाली करा लिये गये हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ग्लेशियर टूटने के बाद तपोवन के पास एक झील बन गई है। अब इस झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में जिलाधिकारी ने एहतियातन टिहरी बांध से पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। गौरतलब है कि चमोली हादसे के वक्त मैदानी इलाकों में बाढ़ जैसे हालत न पैदा हो जाए, इसलिए बांध के पानी को रोक दिया गया था। हालांकि, अब उसी बांध के पानी को बड़ी सावधानी से छोड़ा जा रहा है क्योंकि बांध के ऊपर झील में भी पानी जमा हो गया है। हालांकि, किसी भी खतरे से निपटने के लिए प्रशासन मुस्तैद है