प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ने फर्जी कागजात के जरिए शस्त्र लाइसेंस हासिल करने के मामले में मुख्तार अंसारी पर आरोप तय कर दिया है। मुख्तार पर पांच धाराओं में आरोप तय किया गया है। अदालत में अब जल्द ही इस मुकदमे का ट्रायल शुरू होगा। हालांकि, आज सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी ने खुद पर तय किए गए इन आरोपों से इंकार करते हुए अदालत से अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की गुहार लगाई है।
योगी सरकार की सख्ती के बाद मुख्तार के खिलाफ दर्ज मुकदमों में अब तेजी देखने को मिल रही है। प्रयागराज में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अपर शासकीय अधिवक्ता राजेश कुमार गुप्ता के अनुसार इस मुक़दमे का ट्रायल जल्द ही शुरू हो सकता है। इस वक्त मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद हैं।
मुख्तार अंसारी पर लगा यह आरोप वर्ष 1987 का है। आरोप है कि उन्होंने फर्जी कागजात और डीएम के जाली दस्तखत बनाकर गलत तरीके से बंदूक का लाइसेंस हासिल किया था। मुख्तार ने शस्त्र लाइसेंस के लिए 10 जून 1987 को आवेदन किया था। जांच में फर्जीवाड़े का खुलासा होने के बाद मुख्तार के खिलाफ गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। लंबे समय से यह मामला अलग-अलग अदालतों में लटका रहा। कुछ सालों पहले यह मामला प्रयागराज की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट ट्रांसफर हो गया।
स्पेशल कोर्ट के जज आलोक कुमार श्रीवास्तव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के जरिए हुई सुनवाई में मुख्तार पर आरोप तय किए। अदालत ने मुख्तार अंसारी पर आईपीसी की धारा 467, 468, 420, 120 बी और एंटी करप्शन एक्ट की धारा 13 (2) के तहत आरोप तय किए।