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Corona की तीसरी लहर से पहले बच्चों में फैल रही खतरनाक बीमारी, बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं

बच्चों में फैल रही कोरोना से भी खतरनाक बीमारी

Corona की तीसरी लहर से पहले बच्चों में फैल रही खतरनाक बीमारी, बच्चों में ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत अस्पताल में भर्ती कराएं

कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले इंडिया में एक अदृश्य बीमारी ने हमला कर दिया है। यह बीमारी दबे पैर आती है और बच्चों को जकड़ लेती है। इस बीमारी से सरकार भी चिंतित है। बल्कि यह कहा जा रहा है कि सरकारी मशीनरी के हाथ-पैर फूल रहे हैं। इसलिए इस बीमारी को सरकार से निपटने के लिए सरकार ने आपातकालीन स्थिति का ऐलान कर दिया है।

कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले बच्चों में दो से छह सप्ताह में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेंटरी सिंड्रोम (एमआईएस) के मामले देखे जा रहे हैं। इसमें बच्चों को बुखार आना, शरीर पर लाल चकते बनना, आंखें आना, सांस फूलना यानी जकड़न आदि लक्षण आ रहे हैं। उल्टी, डायरिया, थकान के लक्षण भी हो सकते हैं। हालांकि केंद्र सरकार के अनुसार, यह एक आपातकालीन स्थिति है और समय रहते यदि उपचार शुरू हो जाए तो ज्यादा कठिन नहीं है।

एमआईएस के लक्षण:

  • बच्चों में बुखार के साथ शरीर पर लाल चकत्ते
  • आंखों आना
  • बच्चों की सांस फूलना
  • सीने में जकड़न
  • उल्टी-दस्त और
  • बच्चों में बेवजह थकान

विशेषज्ञों के अनुसार, ये लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं लेकिन आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आता है। कोरोना में जहां संक्रमण फेफड़ों में होता है एमआईएस में ऐसा लगता है कि बीमारी शरीर के एक सिस्टम में नहीं बल्कि सब जगह है, इसलिए इसे मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेंट्ररी सिंड्रोम कहा जाता है। ऐसे में जब कोरोना महामारी की तीसरी लहर बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक होने की आशंका जताई जा रही है, इस तरह के लक्षण चिंताजनक हैं।

नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल के अनुसार, बच्चों में कोरोना का संक्रमण दो प्रकार से देखा जा रहा है। एक कोरोना का संक्रमण हुआ और घर में या अस्पताल में उपचार के बाद बच्चे ठीक हो गए। संक्रमण के 2-3फीसदी मामलों में बच्चों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़ रही है। लेकिन हमारी तैयारियां इससे दोगुनी या इससे ज्यादा हैं, इसलिए बच्चों के मामले में भर्ती की कोई समस्या नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार बच्चों में होने वाले कोरोना पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। इसकी उपचार की रणनीति तय करने के लिए बाल रोग विशेषज्ञों का एक समूह तैयार किया गया है, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है तथा जल्द ही रिपोर्ट के अनुरूप एमआईएस से निपटने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।