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भारत के कड़े रूख से सहमे चीन की गलतफहमी हुई दूर : भागवत

भारत के कड़े रूख से सहमे चीन की गलतफहमी हुई दूर : भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के संबोधन में चीन को लेकर कड़ा संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत की प्रतिक्रिया से पहली बार चीन सहम और ठिठक गया। उसकी गलतफहमी दूर हो गई। मोहन भागवत ने भारत को अब और अधिक सतर्क रहने का सुझाव देते हुए सामरिक और आर्थिक रूप से चीन से ज्यादा मजबूत बनने पर जोर दिया।

मोहन भागवत ने वैश्विक महामारी में चीन की भूमिका भी संदिग्ध बताई। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर से संबोधन में कहा, "चीन ने सामरिक बल के गर्व में हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करने की कोशिश की। भारत ही नहीं उसने ताइवान, वियतनाम, अमेरिका और जापान के साथ भी झगड़ा मोल लिया। इस बार भारत ने जो प्रतिक्रिया दी, उसके कारण वो सहम गया, उसे धक्का मिला। क्योंकि भारत तन कर खड़ा हो गया। सेना ने वीरता का परिचय दिया, नागरिकों ने देशभक्ति का परिचय दिया। सामरिक और आर्थिक दोनों कारणों से वह ठिठक जाए, इतना धक्का तो उसे मिला। उसके चलते अब दुनिया के दूसरे देशों ने भी चीन को डांटना शुरू किया।"

मोहन भागवत ने चीन से टकराव के बाद भारत को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत बताई। मोहन भागवत ने कहा, "हमको अधिक सजग रहने की जरूरत है। क्योंकि जो नहीं सोचा था उसने (चीन), ऐसी परिस्थिति खड़ी कर दी। इस प्रतिक्रिया में वह (चीन) क्या करेगा, नहीं पता है। इसलिए इसका उपाय क्या है? सतत सावधानी, सजगता और तैयारी।"

मोहन भागवत ने चीन को रोकने के लिए भारत को सामरिक और आर्थिक के साथ अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में उससे शक्तिशाली बनने पर जोर दिया। उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंध और अधिक दुरुस्त करने पर जोर दिया। भागवत ने कहा, "श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं। उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए।"

<img class="wp-image-15782 size-medium" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/vijayadashami-2-300×200.jpeg" alt="Sarsanghchalak Mohan Bhagwat " width="300" height="200" /> मोहन भागवत ने पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और संसद में पास हुए नागरिकता संशोधन कानून का भी उल्लेख किया।

मोहन भागवत ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा, "हम सभी से मित्रता चाहते हैं। वह हमारा स्वभाव है। परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले, झुका ले, यह हो नहीं सकता। इतना तो अब तक ऐसा दुस्साहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए। हम दुर्बल नहीं है। उनकी गलतफहमी दूर हो गई।"

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने विजयादशमी उत्सव के संबोधन के दौरान पिछले साल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और संसद में पास हुए नागरिकता संशोधन कानून का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि विजयादशमी के पहले ही 370 प्रभावहीन हो गया था। संसद में उसकी पूरी प्रक्रिया पूरी हुई। वहीं विजयादशमी के बाद 9 नवंबर को राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का असंदिग्ध फैसला आया। जिसे पूरे देश ने स्वीकार किया। पांच अगस्त को राम मंदिर निर्माण का जो पूजन हुआ, उसमें भी, उस वातावरण की पवित्रता को देखा और संयम और समझदारी को भी देखा।

<img class="wp-image-15784 size-medium" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/10/vijayadashami-3-300×200.jpeg" alt="Due to Corona, the program was organized with only 50 volunteers in Reshimbagh, Nagpur." width="300" height="200" /> कोरोना के कारण नागपुर के रेशिमबाग में सिर्फ 50 स्वयंसेवकों के साथ आयोजित हुआ कार्यक्रम।

आरएसएस के इस प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, "नागरिकता संशोधन कानून भी संसद की पूरी प्रक्रिया के बाद पास हुआ। पड़ोसी देशों में दो-तीन देश ऐसे हैं, जहां सांप्रदायिक कारणों से उस देश के निवासियों को प्रताड़ित करने का इतिहास है। उन लोगों को जाने के लिए दूसरी जगह नहीं है, भारत ही आते हैं। विस्थापित और पीड़ित यहां पर जल्दी बस जाएं, इसलिए अधिनियम में कुछ संशोधन करने का प्रावधान था। जो भारत के नागरिक हैं, उनके लिए कुछ खतरा नहीं था।"

मोहन भागवत ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम कानून का विरोध करने वाले भी थे। राजनीति में तो ऐसा चलता ही है। ऐसा वातावरण बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या न बढ़े, इसलिए नियम लाया। जिससे प्रदर्शन आदि होने लगे। देश के वातावरण में तनाव होने लगा। इसका क्या उपाय हो, यह सोच-विचार से पहले ही कोरोना काल आ गया। मन की सांप्रदायिक आग मन में ही रह गई। कोरोना की परिस्थिति आ गई। जितनी प्रतिक्रिया होनी थी, उतनी नहीं हुई। पूरी दुनिया में ऐसा ही दिखता है। बहुत सारी घटनाएं हुईं हैं, लेकिन चर्चा कोरोना की ही हुई।.