चीन को लेकर उत्तराखंड ने सबक सिखाने का काम किया है। उसके एक कदम से चीन सहित अन्य पड़ोसी देशों की कंपनियां उत्तराखंड की विकास योजनाओं में हिस्सेदारी नहीं कर पाएंगी। केंद्र सरकार की ओर से प्रतिबंधित निविदा दाताओं को प्रतिबंधित करने का आदेश अब उत्तराखंड सरकार ने भी कर दिया है।
<strong>चीन से उत्तराखंड की सीमा लगने से प्रदेश उसकी सीमा-पार की हरेक गतिविधियों को देखते-सुनते रहता है। चीन के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा बढ़ने से प्रदेश सरकार ने यह कदम उठाया है। आपको बता दें कि उत्तराखंड सरकार की ओर से अधिप्राप्ति नियमावली मेें संशोधन का आदेश जारी किया गया। कुछ समय पूर्व ही मंत्रिमंडल ने इस संबंध में फैसला किया था। </strong>
अधिप्राप्ति नियमावली के तहत राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते हुए भारत के सीमा से लगने वाले देशों की निविदा में भाग लेने वालों को प्रतिबंधित किया गया है। राज्य की विकास योजनाओं में चीन सहित अन्य देशों की कई कंपनियां निविदाओं में शामिल होती रही हैं। केंद्र सरकार की ओर से इन पर प्रतिबंध लगाया गया था। उत्तराखंड की अधिप्राप्ति नियमावली में केंद्र सरकार की ओर से लगाए गए प्रतिबंध को स्वीकार किया गया है।
इसी के साथ 20 लाख तक के कार्य या सेवाओं में चैंबर ऑफ कामर्स सहित अन्य संस्थाओं की परामर्शी सूची बनाने का संशोधन आदेश भी जारी किया गया है। पहले यह सीमा 15 लाख रुपये तक की थी।
<h3>चीन ने कैलाश मार्ग पर तैनात की सैन्य टुकड़ी</h3>
इधर, भारत की हर गतिविधि पर नजर रखने के लिए चीन जगह-जगह एचडी कैमरे स्थापित करने और सीमा पर सैन्य कर्मियों की संख्या बढ़ाने में जुटा है। उसने तिब्बत में कैलाश यात्रा मार्ग स्थित कई स्थानों पर अपनी सैन्य टुकड़ियां तैनात कर दीं हैं।
सीमा विवाद के बाद से चीन लिपुलेख सीमा के पास अपनी सैन्य ताकतों को बढ़ाने के लगा हुआ है। चीन की इस हरकत के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियां और सुरक्षा बल सतर्क हो गए हैं। मिली जानकारी के अनुसार चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर स्थित दार्चिन और अन्य स्थानों पर पक्के बंकर बना रहा है। कई स्थानों पर छोटे-छोटे हेलीपैडों का निर्माण भी किया जा रहा है। लद्दाख में सीमा विवाद से पहले से ही चीन ने कैलाश यात्रा मार्ग पर सड़कों का निर्माण शुरू कर दिया था।.