इंडिया में कोरोना वायरस से भी खतरनाक एक और वायरस घूम रहा है। इस वायरस की भी कई शक्लें हैं। ये सब चीन से ही निकले हैं। यह वायरस इतना खतरनाक है कि एक बार आपके फोन में आया और आपने धोखे से भी इसे टच कर लिया तो ये आपके बैंक को खाली कर देता है। यह वायरस भी राजधानी दिल्ली से लेकर देश के लगभग सभी राज्यों के कस्बों और शहरों और गांवों तक पहुंच गया है। हजारों लोग इसका शिकार बन चुके हैं। लेकिन बदनामी के डर से इसके बारे में बताने से हिचकते हैं। बहरहाल, दिल्ली पुलिस ने इस वायरस को फैलाने वालों में से 11 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
दरअसल नोएडा स्थित एक अंतरराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी के मालिक ने अपनी कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों के नाम पर 2700 सिमकार्ड एक्टिवेट करके चीन भेजे। ये सिम कार्ड ठगी के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं। पुलिस आरोपी टेलीकॉम कंपनी के मालिक को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि कहीं इनका प्रयोग जासूसी में न हो रहा हो।
दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले में बड़ा खुलासा किया है।दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस मामले में सतेंद्र सिंह को नोएडा से गिरफ्तार किया। सतेंद्र सिंह ग़ाज़ियाबाद का रहने वाला है और नोएडा में एक अंतरराष्ट्रीय टेलीकॉम कंपनी एसजी टेलीकॉम का मालिक है। सतेंद्र ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के नाम 2700 सिमकार्ड लिए और उन्हें एक्टिवेट करके चीन भेज दिया। इनमें से कई सिम कार्ड का चीन से ठगी में इस्तेमाल हो रहा है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, सतेंद्र ने इस काम के लिए करीब 18 लाख रुपये लिए ,यानि एक सिम कार्ड के करीब 600 रुपये लिए। सतेंद्र की कंपनी विदेश जाने वालों को अंतरराष्ट्रीय सिम कार्ड मुहैया कराती है। लेकिन ये सिम कार्ड खुद के कर्मचारियों के नाम एक्टिवेट कराकर बिना केवाईसी भेज दिए गए। सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि कहीं इनका प्रयोग जासूसी में न हो रहा हो। इस मामले में 2 सीए समेत 11 लोग पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं।
दरअसल,ये लोग चीन में बैठे अपने आकाओं के निर्देश पर लोगों को मैसेज भेजते कि अमुक एप इंस्टॉल करो और 15 दिन में दो गुने पैसे वापस लो। चेन मार्केटिंग सिस्टम के तहत ये गिरोह लोगों को फंसाता और पैसे ट्रांसफर करवाता था। फिर अचानक गोल हो जाते। दरअसल, इजी मनी के झांसे में आकर हजारों लोगों ने अपने पैसे लगाए, लेकिन सब के पैसे गायब हो गए।
जिन लोगों के पैसे डूबे हैं उनकी मदद पुलिस भी नहीं कर पा रही है क्यों कि पैसे चीन के बीजिंग तथा अन्य शहरों में बैठे लोगों के खाते में पहुंचे है। जिनको ला पाना असंभव है।