चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने बुधवार को LJP में विवाद पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने चाचा पशुपति पारस (Pashupati Paras) पर निशाना साधा। चिराग पासवान ने कहा कि मैं चाहता था कि परिवार की बात बंद कमरे में निपट जाए, लेकिन अब ये लड़ाई लंबी चलेगी और कानूनी तरीके से लड़ी जाएगी।
चिराग पासवान ने कहा कि पिछले कुछ वक्त से मेरी तबीयत खराब थी, इसलिए मैं पिछले कुछ दिनों से बाहर नहीं आ पाया। सिर्फ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से सबकुछ नहीं आ पाया। सिर्फ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से सबकुछ नहीं निपटेगा, ये लड़ाई लंबी है।
चिराग ने इस दौरान नीतीश पर सीधा आरोप जड़ा। उन्होंने कहा कि 'हमलोगों ने गठबंधन से अलग होकर मजबूती से चुनाव लडा। चुनाव से पहले जब पापा (रामविलास पासवान) अस्पताल में थे तब भी जेडीयू के कुछ लोग मेरी एलजेपी को तोडने की कोशिश कर रहे थे। मुझे याद है जब पापा ICU में थे तब भी उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं से बातचीत में कहा था कि मीडिया में कुछ लोग इस तरह की भ्रामक खबरें आ रही हैं कि पार्टी टूट रही है। उन्होंने चाचा को भी इस संदर्भ में कहा था।'
उन्होंने कहा, “जो लोग मुझे हटाने का दावा कर रहे हैं उन्हें पार्टी के संविधान की कोई जानकारी नहीं हैं। चाचा के धोखे के बाद अनाथ हो गया हूं। उन्हे (पशुपति पारस) राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाने का कोई अधिकार नहीं है। यह एक लंबी कानूनी लड़ाई है।”
चिराग पासवान ने कहा, “जब मेरे पिता राम विलास पासवान जिंदा थे तब भी पार्टी को तोड़ने की कोशिशें होती रहती थीं। हमने अपनी नीतियों से समझौता नहीं किया और बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया। यह फैसला पार्टी का था।” उन्होंने कहा “हमेशा परिवार और पार्टी को एक साथ रखना चाहा। LJP भले ही एक भी सीट बिहार में न जीत पाई हो, लेकिन हमने बड़ी संख्या में वोट और लोगों का समर्थन हासिल किया। हमें 24 लाख वोट मिले। हमारा वोट बढ़ा।”
चिराग पासवान ने कहा कि जेडीयू सिर्फ बांटने में लगी रहती है। उन्होंने कहा, “जेडीयू सिर्फ फूट डालो और राज करो की राजनीति करती है। पहले बिहार को दलित और महादलित में बांटा। अब हमारी पार्टी में फूट डालना चाहते हैं। यह कभी नहीं चाहते कि एक दलित आगे बढ़े। मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, मैं शेर का बेटा हूं, पहले भी लड़ा था और आगे भी लड़ूंगा।” चिराग ने अपने चाचा समेत पांचों सांसदों को एक तरह से रणछोड़ करार दिया। एक बात स्पष्ट थी कि पार्टी में कुछ लोग (पशुपति पारस समेत 5 सांसद) संघर्ष के रास्ते पर चलने को तैयार नहीं थे। वो चाहते थे कि वे सुरक्षित राजनीति करते रहें। मैं इस बात को स्वीकार करता हूं कि अगर बीजेपी+जेडीयू+एलजेपी मिलकर बिहार चुनाव में उतरती तो लोकसभा चुनाव की तरह एकतरफा परिणाम आते। लेकिन उस परिणाम के लिए मुझे नीतीश कुमार के सामने नत्मस्तक होना पड़ता।