भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं में सेवा देने वाले एकमात्र अधिकारी कर्नल प्रिथीपाल सिंह गिल (रि) ने शुक्रवार को 100वां जन्मदिन सेलिब्रेट किया। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भाग लिया था। एक सैनिक हमेशा सैनिक ही रहता है।' मिलिट्री कल्चर में यह लाइन बड़ी मशहूर है। अगर आप कभी कर्नल पृथीपाल सिंह गिल से हाथ मिलाएं तो आपको एहसास हो जाएगा कि ऐसा क्यों कहा जाता है।
THE ONLY OFFR TO SERVE IN THE INDIAN NAVY, AIR FORCE&ARMY turns 100. ALSO COMMANDED AR SECTOR (PMF).
Col Prithipal Singh Gill (without family consent) joined the Royal Indian Air Force and was commissioned as Pilot Officer stationed at Karachi, flying Howard aircrafts. 1/2.. pic.twitter.com/HRHsTtF2B0— Lt Gen Kamal Jit Singh (Veteran) (@kayjay34350) December 11, 2020
उम्र के 100वें पड़ाव को पार कर चुके युद्धवीर का जज्बा आज भी वैसा ही है, जैसा 1942 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में बतौर कैडेट जॉइन करते समय था। पिता को डर न होता तो शायद एयरफोर्स में ही रहते। मगर किस्मत को तो उनके नाम कुछ खास करना था।
<img class="wp-image-21220 size-full" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/12/Col-Prithipal-Singh-Gill-with-wife.jpg" alt="Col Prithipal Singh Gill with wife" width="1280" height="720" /> अकेला युद्धवीर कर्नल (रि) प्रिथीपाल सिंह गिल जिसने भारत की तीनों सशस्त्र सेनाओं में अतुलनीय योगदान दिया। कर्नल (रि) प्रिथीपाल सिंह गिल ने शुक्रवार को 100वां जन्म दिन मनाया।एयरफोर्स से नेवी में गए और फिर वहां से आर्मी में। जब रिटायर हुए तो देश के इकलौते ऐसे अधिकारी बन चुके थे जिसने सेना के तीनों अंगों- थल सेना, नौसेना और वायुसेना में अपनी सेवाएं दी हों। 1965 का भारत-पाक युद्ध हो या जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बॉर्डर, कर्नल पृथीपाल ने सब देखा है। पूर्वोत्तर के पहाड़ी जंगलों में भी उनके कई साल गुजरे हैं।.