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Congress Toolkit Exposed: कांग्रेस ने Corona के बहाने PM Modi और देश को बदनाम करने की रची साजिश!

कोरोना महामारी में भी राजनीति करने से बाज नहीं आई कांग्रेस!

कांग्रेस इस वक्त टूलकिट को लेकर चारो तरफ से घिरती नजर आ रही है। जिस तरह से टूलकिट के जरिए भाजपा ने दावा किया है कि कांग्रेस पार्टी ने दूसरी लहर में एक योजना के तहत नरेंद्र मोदी, उनकी सरकार और प्रदेशों में बीजेपी सरकारों को बदनाम करने की साजिश रची थी। क्योंकि अब तक किसी भी पार्टी ने इस तरह की घटिया राजनीति नहीं की है जितना की इस वक्त विपक्षी कर रही है। जहां एक तरफ देश कोरोना महामारी से लड़ रहा है वहीं कांग्रेस लोगों में भ्रम फैलाने की कोशिश कर रही है।

केंद्र शासित राज्यों में क्यों वेंटिलेटर का इस्तेमाल नहीं किया गया?

दरअसल, भारते के लोगों की एक खासियत है कि जब भी आपदा आति है तो वो एक दूसरे की मिलकर मदद करते हैं, और इस दौरान कोई किसी का स्टेटस नहीं देखता। यह भारत की एक अलग ही पहचान है। और यही कोरोना माहामारी के दौरान देखा गाय कि जब देश इस माहामारी से लड़ रहा है तो लोग एक दूसरे की ममद करने के लिए आगे आए हैं। जिससे जितना हो सकता है वो उतना कर रहा है। इसके साथ ही पीएम केयर फंड्स के जरिए भी लोग मदद करने की कोशिश कर रहे हैं। और इसी पर विपक्ष राजनीति कर रहा है, कांग्रेस को यह हजम नहीं हो रहा है कि आखिर इस महामारी से लड़ने में बीजेपी कैसे सफल होते जा रही है। तभी को कांग्रेस शासित राज्यों में पीएम केयर फंड्स के जरिए दिए गए वेंटिलेटर्स इस्तेमाल करने के बजाय फेके हुए पाए गए। यहां मरीजों की जान की कोई फिक्र नहीं है। ऐसे में इसे राजनीति स्टंट नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?

वहीं, केंद्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे हजारों मजूदरों और बेरोजगार लोगों के लिए नौकरी के अभियान को विपक्षी दल बेकार और भ्रमित बता रहा है। जहां विपदा को दौर में लोग लॉकडाउन की वजह से नौकरियों से हाथ धो बैठे हैं, मजदूरों को काम धंधा मिलना बंद हो गया है ऐसे में सरकार इन लोगों को जब मदद करने के लिए आगे आ रही है तो नेशनल एक्सपर्ट और इंटरनेशनल एक्सपर्ट सरकार के प्रोजेक्ट बंद कराने की फिराक में है?

ऑडिट के नाम पर कैसे अचानक बढ़ गई दिल्ली में ऑक्सीजन

अब बात दिल्ली की करते हैं, दिल्ली में कोरोना के दौरान क्या स्थिति रही है यह किसी से छिपी नहीं है। असप्तालों में बेड की भारी कमी हुई, ऑक्सीजन की वजह से न जाने कितनों की मौत हुई और दवाओं की भारी कमी देखने को मिली। ऐसे में विपक्ष दिल्ली सरकार अरविंद केजरीवाल को घेरने के बजाय केंद्र सरकार को ही घेरने लगी यहां तक की अरविंद केजरीवाल यह आलाप लगाने लगे कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन देने में आनाकानी कर रही है। और जब सरकार ने दिल्ली में एक ऑडिट बैठाई तो अचानक ही दिल्ली में ऑक्सीजन सरप्लस हो गई।

कल तक जो यह अलाप लगा रहे थे कि दिल्ली में ऑक्सीजन की भारी कमी है, केंद्र सरकार उन्हें ऑक्सीजन कम दे रही है अब अचानक ऑक्सीजन की कमी तो दूर हुई ही साथ ही इतमी मात्रा में दिल्ली सराकर के पास उपलब्ध हो गई कि वो दूसरे राज्यों को भी ऑक्सीजन देने की बात कहने लगे। इसे देखकर तो यही कहा जाएगा कि विपक्षियों में लोगों की जिंदगी से कोई लेना देना नहीं है। उन्हें सिर्फ अपनी राजनीति करने से मतलब है।

यहां तक की भारत में पाए गए नए कोरोना वैरिएंट को लेकर तो लोग यह भूल गए कि कोरोना का जन्म चीन में नहीं भारत में हुआ है, क्योंकि कई लोग यह कहने लगे कि यह 'इंडियन वैरिएंट' है यहां तक की इसे 'मोदी वैरिएंट' तक कहा गया। यह सरकार से नफरत नहीं तो और क्या दर्शाता है?

कुंभ मेले पर राजनीति

कई वर्षों से चले आ रहे कुंभ मेले को लेकर भी विपक्षी दल राजनीति करने से बाज नहीं आए। कुंभ का समय सराकर नहीं बल्कि सदियों से साधु संत तय करते आ रहे हैं। इस बार यह चार महीने के बजाय एक महीने से भी घटाकर और कम कर दिया गया क्योंकि कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे थे। रमदान तो हर साल आता है और कुंभ हर 12साल के बाद आता है लेकिन रमदान के बजाय लोगों ने कुंभ पर सरकार को घेरा और यह तक कह दिया कि हिंदुओं को शर्म आनी चाहिए।

कांग्रेस का टूलकिट जो वायरल हुआ उसमें कांग्रेस तो यह तक कोशिश कर रही है कि, भारत ने जो जनवरी में वैक्सीन लगाना शुरू कर दिया है उसे रोकने का प्रयाश कर रही है। और साथ ही पीएम केयर फंड्स के तहत जिन राज्यों को वेंटिलेटर्स दिया गया उसमें जो कांग्रेस शासित राज्य थे उन्होंने इसे इस्तेमाल ही नहीं किया? तो क्या पीएम केयर फंड्स द्वारा दिया वैंटिलेटर था इसलिए विपक्ष ने इसे इस्तेमाल नहीं किया और लोगों की जान से ज्यादा ये करना उचीत समझा?

वैसे पूरे कोरोना काल के दौरान देखा जाए तो कांग्रेस ने भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं किया। क्योंकि लोग परेशान हैं, कोरोना से जंग लड़ रहे हैं। इससे कांग्रेस को क्या करना है, कांग्रेस को तो 'टूलकिट राजनीति' करना है। दरअसल, यह एक बिमारी है जिसकी कोई तूलना नहीं है, यहां तक फिल्म राइटर भी इतना घटिया स्क्रिप्ट नहीं लिख सकता।