कोरना देश में बेकाबू हो चला है। अभी दो महीने पहले लग रहा था कि कोरोना अब देश में खत्म हो गया है। 2 फरवरी का आंकड़ा है कि भारत में मात्र 8,635 कोरोना के केस मिले थे। लगने लगा की कोरोना का संक्रमण लगभग समाप्त हो गया है। यहां तक कि सरकारें पैनडेमिक की बजाय एनडेमिक का नारा देने लगी थीं। संकट खत्म मानकर सबकुछ खोल दिया गया, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ने लगी। लोग घरों से बाहर निकल पड़े जैसे कोरोना कोई प्रेत था जो अब गायब हो गया हो।
जमकर शादी समारोहों, पार्टियों होने लगी। हर जगह भीड़ उमड़ पड़ी। चुनावी रैलियों में भीड़ बढ़ने लगी, स्कूल-दफ्तर खोल दिए गए। सिनेमा हॉल, मॉल्स, पर्यटन स्थल गुलजार होने लगे। लेकिन अचानक मार्च के अंत तक कोरोना की दूसरी लहर लौटी। लौटी तो ऐसी की अब देश में हाहाकार मचा हुआ है। देश में कोरोना ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 12 अप्रैल को देश में कुल 1।69 लाख मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि 900 से अधिक लोगों की मौत हुई है। अकेले दिल्ली में ही 10 हजार से अधिक केस जबकि महाराष्ट्र में 55 हजार के पार नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं।
कोरोना मरीजों की देश में बाढ़ आ गई है। अस्पातों में भारी भीड़ है। शहर-शहर अस्पतालों में बेड्स, ICU बेड्स, वेंटिलेटर की कमी देखी जा रही है तो श्मशान घाटों पर लाइनें लग रही हैं। कोरोना से निपटने में जरूरी रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए घंटों लोगों को लाइनों में लगते देखा जा रहा है। अब यह सवाल उठता है कि कोरोना की ये लहर इतनी खतरानक क्यों हैं? और कब तक राहत की उम्मीद है?
पिछली वेव में कोरोना संक्रमित लोगों में अधिकांश युवा लोग असिम्प्टोमैटिक या माइल्ड सिम्प्टोमैटिक थे और ज्यादा संक्रमित नहीं हो रहे थे। बच्चों में इनफेक्शन बहुत कम था। नई लहर में बच्चों में भी संक्रमण फैल रहा है। गंभीर मसला ये है कि जिन यंग लोगों को कोरोना हो रहा है बहुतों में कोई सिम्पट्म नहीं है और जिनमें लक्षण हैं वो कई बार टेस्ट होने के बाद भी निगेटिव आ रहे हैं। कोरोना की इस लहर का एक बड़ा फैक्टर हैं असिम्प्टोमैटिक केस। यानी ऐसे मरीज जिनमें संक्रमण तो हैं लेकिन संक्रमण के लक्षण नहीं दिख रहे। मुंबई में बीएमसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक मार्च से शुरू हुई कोरोना की दूसरी लहर में 80 फीसदी से अधिक केस असिम्प्टोमैटिक हैं
कई एक्सपर्ट मानते हैं कि भारत में दूसरी लहर के लौटने और इतने प्रचंड रूप के पीछे कोरोना का नया स्ट्रेन और डबल म्यूटेंट वायरस जिम्मेदार है। देश में कोरोना का एक डबल म्यूटेंट वायरस दिल्ली और महाराष्ट्र में पाया गया। इसके अलावा यूके, ब्राजील और साउथ अफ्रीकन स्ट्रेन भी संक्रमण के तेज होने के पीछे प्रमुख फैक्टर हैं। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक महाराष्ट्र में 15 से 20 फीसदी केस डबल म्यूटेंट वायरस के हैं। जबकि इसी तरह पंजाब में नए स्ट्रेन के पाए जा रहे हैं। कोरोना के नए स्ट्रेन पर ब्रिटेन में हुए शोध में खुलासा हुआ था कि इनका प्रसार तेजी से होता है।
कैसे कंट्रोल किया जा सकता है इस लहर को?
विश्व स्वास्थ्य संगठन की साउथ-ईस्ट एशिया रीजनल डायरेक्टर डॉ। पूनम खेत्रपाल सिंह कहती हैं- ' कोरोना की दूसरी लहर हालात को किस दिशा में ले जा रही है अभी ये कहना तो संभव नहीं लेकिन तमाम देशों में पिछले एक साल का अनुभव ये बताता है कि पब्लिक हेल्थ नियमों को जमीनी स्तर पर लागू करने और कोविड के बचाव के उपाय लोगों द्वारा अपनाने के नतीजे दिखते हैं। और संक्रमण को रोकने का यही एकमात्र उपाय है।
जिस तरह से कोरोना की दूसरी लहर बेकाबू होती दिख रही है अभी राहत की कोई उम्मीद तो नजर नहीं आती। देश के 13 राज्यों के कई हिस्सों में टोटल लॉकडाउन, नाइट कर्फ्यू तो मुंबई, इंदौर समेत कई शहरों में वीकेंड लॉकडाउन लगा हुआ है। स्कूल-कॉलेज बंद हैं, दफ्तरों में संख्या सीमित करने के निर्देश सभी राज्य सरकारों ने जारी किए हैं। हालांकि, अगर लोगों ने सोशल डिस्टेंसिंग और पाबंदियों का सही से पालन नहीं किया तो हालात सुधरने में और देर लग सकती है।