कोरोना वायरस के चलते हर तरफ चीख-पुकार मची हुई है। अस्पतालों में भीड़ और शमशान घाट पर लगी कतार लोगों के मन में भय पैदा कर रही है। कोरोना से लड़ने के लिए टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। इस बीच खबर सामने आ रही है कि सरकार कोरोना वायरस के वैक्सीन की पहली और दूसरी डोज के लिए मिक्स एंड मैच पर विचार कर रही है। मिक्स एंड मैच को लेकर भारत और विदेशों में रिसर्च जारी है। केंद्र सरकार ने ऐसे समय पर इस ओर ध्यान दिया है जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक टीकों को मिक्स एंड मैच कर यानी दोनों को मिलाकर एक टीका बनाने पर काम चल रहा है।
अगर मिक्स एंड मैच सफल रहा तो लोगों को कोरोना वैक्सीन का एक ही टीका लगवाना होगा। इस टीके में दो डोज के फायदे होंगे। इसको लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स का बताया है कि भारत में इसको लेकर अभी और रिसर्च की जरूरत है। इसकी स्टडी कुछ हफ्तों में शुरू हो सकती है और इससे वैक्सीन को लेकर देश की बड़ी जरूरतें पूरी हो सकेंगी। आपको बता दें कि सरकार ने अगस्त से दिसंबर के बीच 216 करोड़ खुराक उपलब्ध कराने की अपनी योजना की घोषणा की है।
इस योजना में कम से कम आठ वैक्सीन कंपनियां शामिल हैं- पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा स्थानीय रूप से निर्मित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन, भारत बायोटेक द्वारा निर्मित रूस की स्पूतनिक-V, भारत बायोटेक की इंट्रानैसल वैक्सीन, बायोई की सबयूनिट वैक्सीन, ज़ायडस कैडिला की डीएनए वैक्सीन, नोवावैक्स वैक्सीन और जेनोवा की एमआरएनए वैक्सीन। सरकार की इस लिस्ट में फाइजर-बायोएनटेक, जॉनसन एंड जॉनसन जेएंडजे और मॉडर्ना के टीके शामिल नहीं थे। अप्रैल में केंद्र ने इन टीकों के आपातकालीन उपयोग की भी मंजूरी दे दी।
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो 'वर्तमान में, डेटा केवल एस्ट्राजेनेका और फाइजर वैक्सीन के मिक्स एंड मैच पर उपलब्ध है। भारत में ऐसा करने से पहले हमें विभिन्न प्लेटफॉर्मों के टीकों को स्टडी करना होगा। सैद्धांतिक रूप से ये एक अच्छा तरीका है, लेकिन हमें इस बात का ठोस सबूत देना होगा कि टीकों को मिलाना व्यक्तियों और समुदाय में वायरस के ट्रांसमिशन को रोकने में कारगर साबित होगा। दरअसल, कुछ स्टडीज में यह बात सामने आई है कि अलग-अलग वैक्सीन को मिक्स करने से कोविड-19 के खिलाफ ज्यादा सुरक्षा मिलती है।
स्पेन में रिसर्चर्स ने पाया कि लोगों को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और फाइजर-बायोएनटेक दोनों के टीक लगाना सुरक्षित है और बेहतर इम्युन रेस्पांस ट्रिगर होता है। हालांकि अभी इस रिसर्च के नतीजे किसी जर्नल में नहीं छपे है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने पाया कि अगर दो टीकों को मिक्स किया जाए तो कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन साइड इफेक्ट्स जरूर बढ़ सकते है। 'द लैंसेट' में छपी न्यूज के अनुसार, रिसर्चर्स ने वॉलंटियर्स को पहले ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की डोज दी और उसके बाद फाइजर-बायोएनटेक की। ऐसे लोगों में साइड इफेक्ट्स ज्यादा दिखे जो कि जल्द ही दूर भी हो गए। वैक्सीन का क्रम बदलने पर भी नतीजों में बदलाव नहीं दिखा।