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राजस्थान में हजारों Corona Vaccine की बर्बादी में मिलीभगत, दोषी स्वास्थ्यकर्मियों पर गहलोत सरकार ने नहीं लिया कोई एक्शन!

राजस्थान में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी

कोरोना महामारी में जहां लोग एक दूसरे की मदद करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर विपक्ष अपनी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहा। चाहे कुंभ रहा हो, सेंट्रल विस्टा पर उंगली उठाना या फिर वैक्सीन बर्बाद करना, इसमें विपक्ष जरा भी पिछे नहीं हटा। क्योंकि वैक्सीन की कमी बताने वाले विपक्ष अब राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी को लेकर क्या कहेंगे, क्या इसमें भी मोदी सरकार का हाथ बताया जाएगा? राजस्थान सरकार कई बार कह चुकी है कि प्रदेश में वैक्सीन की कमी है, केंद्र सरकार पर कई बार आरोप लगा चुकी है। लेकिन अब तो राजस्थान में वैक्सीन की हजारों डोज न सिर्फ डस्टबिन में फेंके गए बल्कि जमीन में भी गाड़ दिए गए।

दरअसल, मीडिया संस्थान 'दैनिक भास्कर' ने राज्य में कोरोना वैक्सीन की बर्बादी को दिखाया तो राजस्थान सरकार ने साथ साफ नकार दिया था और साथ ही केंद्र सरकार के आंकड़ों को गड़बड़ बता दिया। अब दैनिक भास्कर ने इसकी हकीकत के लिए कुछ तस्वीरें जारी की हैं जिनके आधार पर दावा किया है कि राजस्थान में वैक्सीन की हजारों डोज न सिर्फ डस्टबिन में डाले गए, बल्कि जमीन में दफ्न कर दिए गए।

अख़बार ने अपने एक पत्रकार की तस्वीर भी जारी की है, जिसने 12फीट गहरे गड्ढे में उतर कर देखा तो पाया कि वहां वैक्सीन के कई वायल बर्बाद कर दिए गए थे। इनमें से अधिकतर वायल ऐसे थे, जो 80%तक भरे हुए थे। बता दें कि वैक्सीन की एक वायल से 10डोज बनती है। राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री लगातार इस बात को नकार रहे हैं कि राजस्थान में कोरोना वैक्सीन कचरे में फेंकी गई है। उन्होंने बर्बादी के प्रतिशत को महज 2बताया।

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट की माने तो उसमें कहा गया है कि, 80%तक भरी हुई वैक्सीन की वायलें जमीन में गाड़ दी जा रही हैं। बुधवार को ऐसे 10स्वास्थ्य केंद्रों की पड़ताल के बाद अख़बार ने कहा कि वो सच दिखा रहा है और अपनी जिम्मेदारी निभाता रहेगा। स्वास्थ्य मंत्री को सम्बोधित करते हुए अख़बार ने उन्हें वैक्सीन की बर्बादी रोकने की नसीहत दी और कहा कि उन्हें जो भी सबूत चाहिए, वो दिए जाएंगे पर टीके बर्बाद न हों।

 

इसके साथ ही राजस्थान के अस्पताल परिसरों में वैक्सीन की सैकड़ों डोज कचरे के ढेर में पड़ी हुई पाई गई है। खुद डॉक्टरों का ही कहना है कि वो वैक्सीन की पुरानी वायलों को जमीन में गाड़ दे रहे हैं। अब तक इसके जांच के आदेश भी नहीं दिए गए हैं। अख़बार ने बर्बाद की गई 500में से 20वायलों के बैच नंबर भी शेयर किए। अखबार ने बताया कि, "भास्कर सरकार से अपील करता है कि इन वायल की जांच कराएं और जो भी सच सामने आए, उसे सार्वजनिक करें। हमारा मकसद सिस्टम की उस लापरवाही को सामने लाना है, जिसकी वजह से हमारी कीमती वैक्सीन बर्बाद हो रही हैं।"

 

 

वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मघु शर्मा की माने तो, प्रदेश में सिर्फ 2%वैक्सीन ही बर्बाद हुई है, जबकि देश का औसत 6%है। उन्होंने बूंदी जिले का आंकड़ा शेयर करते हुए कहा कि वहां महज 5.35%वैक्सीन ही बर्बाद हुए हैं, जबकि मीडिया की पड़ताल में ये आंकड़ा साढ़े 4गुना से भी अधिक 25%है। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन को पत्र भी लिखा, जिसमें बताया कि ये वायलें डिस्पोजल के लिए भेजी गई थीं।

 

वैक्सीन की बर्बादी और स्वास्थ्य मंत्री द्वारा दिए गए बयान के बाद राजस्थान के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने गहलोत सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि, वो 'दोषी भी मैं, जांचकर्ता भी मैं, निर्णयकर्ता भी मैं' वाले सिद्धांत पर चल रही है, जबकि उसे कोरोना प्रबंधन पर ध्यान देते हुए वैक्सीन की बर्बादी की जांच किसी थर्ड पार्टी से करानी चाहिए।

वहीं, एक और अखबार 'पत्रिका' की रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस शासित राजस्थान में कुल 11.5लाख (करीब 7फीसदी) वैक्सीन के डोज खराब हो गए हैं। राजस्थान के चूरू जिले में तो सबसे ज्यादा 39.7प्रतिशत वैक्सीन बर्बाद हो गई है। इस मामले में 24.60फीसदी के साथ हनुमानगढ़ दूसरे नंबर पर है, जबकि 17.13प्रतिशत वैक्सीन भरतपुर में बेकार हो गई है।

अब इन सब के बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वैक्सीन को लेकर केंद्र सरकार पर लगातार आरोप लगा रहे हैं, जबकि राजस्थान शासित राज्यों में वैक्सीन से लेकर मेडिकल अपकरड़ों की सबसे ज्यादा बर्बादी हुई है। यहां तक की कोरोना की दूसरी महामारी में तो यह भी रिपोर्ट आई थी कि कांग्रेस शासित राज्यों में पीएम केयर्स फंड द्वारा मुहैया कराए गए वेंटिलेटर्स तक को मरीजों के इलाज के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया।