कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप अभी कम भी नहीं हुआ कि एक्टसपर्ट्स तीसरी लहर आने की पहले ही चेतावनी दे रहे है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगी। इन सबको ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने कल यानी 19 मई को गाइडलाइन जारी की। इस गाइडलाइन में सरकार ने बताया कि संक्रमित बच्चों का होम आइसोलेशन में ही इलाज होगा, केवल गंभीर बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत होगी। इसके अलावा, कई और बातें नई गाइडलाइन में कही गई।
गाइडलाइन के मुताबिक, जिन बच्चों का आक्सीजन लेवल 90 से नीचे गिरता है, उन्हें कोविड अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। क्योंकि, उन्हें गंभीर निमोनिया, एक्यूट रेसपाइरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम, सेप्टिक शाक, मल्टी आर्गन डिसफंक्शन सिंड्रोम जैसी बीमारियां हो सकती हैं। गाइडलाइन के मुताबिक, बच्चों को इलाज में रेमडेसिविर और आइवरमेक्टिन और स्टेरॉयड नहीं दी जाएंगी। ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है।
गाइडलाइन में बच्चों को स्टेरॉयड देने पर रोक लगाई गई है। सिर्फ गंभीर बच्चों को जरूरत पड़ने पर ये दवा देने की अनुमति दी जाएगी। गाइडलाइन में साफ कहा गया है कि सिर्फ कोरोना ग्रस्त गंभीर बच्चों को भर्ती कराने की जरूरत होगी। बाकी का इलाज में घर में रहकर ही किया जा सकता है। बस उनकी नियमित मॉनिटरिंग होती रही। ज्यादातर बच्चे लक्षण विहीन हो सकते हैं इसलिए उनका इलाज सावधानी से करने की जरूरत है। कुछ बच्चे बुखार के साथ पेट दर्द, उल्टी व दस्त की समस्या के आ सकते हैं, उनका भी कोरोना मरीज के तौर पर इलाज किया जाना चाहिए।
ये हैं सामान्य लक्षण- हल्का बुखार, खांसी, जुकाम, सांस लेने में परेशानी, थकान, गले में खराश होना, मांसपेशियों में दर्द, नाक का लगातार बहना, खाने में स्वाद न आना और सूंघने की क्षमता का कम होना
असामान्य लक्षण- कई अध्ययन बताते है कि बच्चों में मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम नाम का एक नया सिंड्रोम भी देखने को मिला है। हालांकि, ये कोई बीमारी नहीं है, लेकिन ये लक्षणों पर आधारित एक सिंड्रोम है और जो इससे पीड़ित हो रहे है। उनमें हृदय, फेफड़े, रक्त वाहिकाएं, गुर्दे, पाचन तंत्र, मस्तिष्क, त्वचा या आंखों में इंफेक्शन और सूजन देखी गई है।