मेडिकल एक्सपर्ट की आशंकाओं से घिरे प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर अपने एम्पॉवर्ड ग्रुप के साथ बैठक की और कोरोना से जूझ रहे देश के हालातों पर चर्चा की। ऐसा बताया जाता है कि एक्सपर्ट ने साफ बता दिया है कि देश में कोरोना की सेकंड वेब का पीक मई के मध्य में आएगा और देश को सामान्य होने में जुलाई का महीना बीत जाएगा। इसके बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि प्रिवेंटिव उपायों को प्रभावकारी ढंग से लागू किया जाए। अस्पतालों की क्षमता बढाई जाए। ऑक्सीजन और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाएऔर लॉक डाउन से बचा जाए। प्रधानमंत्री मोदी ने अनचाही परिस्थितियों से बचने लॉकडाउन का सशक्त विकल्प ढूंढने का निर्देश भी दिया।
वायरस की दूसरी लहर ने लोगों को भयभीत कर दिया है। सरकारों ने हालातों को सुधारने के लिए दिन-रात को एक कर रखा है, लेकिन संक्रमण के मामलों में कमी नहीं आ रही। अब एक्सपर्ट्स की एक नई आशंका खौफ पैदा कर रही है। देश में हालात सामान्य होने में जुलाई तक का वक्त लग सकता है। हालांकि, साथ ही एक्सपर्ट्स का मानना है कि मई के दूसरे सप्ताह तक कोरोना संक्रमण के मामले पीक तक पहुंच जाएंगा, लेकिन संक्रमण निल होने में ढाई से तीन महीने का समय लग सकता है।
आईआईटी कानपुर के प्रोफेसर मनिंदर अग्रवाल ने सूत्र मॉडल का उपयोग करते हुए कहा कि कई राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों की पीक मई के पहले सप्ताह में आनी शुरू हो जाएगी और मई मध्य में संक्रमण में गिरावट का दौर शुरू हो जाएगा, लेकिन देश में हालात सामान्य होने में या यूं कहें कि फरवरी की भांति स्थिति जुलाई या उसके बाद ही संभव हो पाएगी। क्योंकि नए संक्रमण में गिरावट का दौर धीमा रहेगा। आईआईटी कानपुर लगातार कोरोना संक्रमण पर गणितीय मॉडलिंग कर रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो देश के 12 राज्यों में कारोना संक्रमण पिछली पीक को पार कर चुका है। इन राज्यों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, उप्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, बिहार, हरियाणा, तेलंगाना तथा झारखंड हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि ये राज्य अब दूसरी लहर की पीक के करीब पहुंचने वाले हैं।
वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के निदेशक प्रोफेसर जुगल किशोर ने कहा कि कई राज्यों में अभी मामले बढ़ रहे हैं। जब कई राज्यों में पीक निकल चुकी होगी तो बाकी राज्यों में संक्रमण बढ़ रहा होगा। ऐसे में भले ही राष्ट्रीय स्तर पर नए संक्रमणों में कमी का दौर शुरू हो, लेकिन गिरावट की दर धीमी रहेगी। इसलिए संक्रमणों के न्यूनतम स्तर पर आने में लंबा समय लग सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो जिस तेजी से एक महीने में रोजाना संक्रमण 59 हजार से बढ़कर साढ़े तीन लाख पहुंच गए, उस तेजी से इसमें गिरावट नहीं आएगी।
ध्यान रहे 26 मार्च को 59118 लोग संक्रमित हुए थे, लेकिन 26 अप्रैल को यह संख्या बढ़कर 352991 पहुंच गई थी। मोटे तौर पर यह माना जा रहा है कि जुलाई के बाद ही देश में कोरोना की दूसरी लहर काबू में आ पाएगी।