देश के वैज्ञानिकों की इस वक्त नए म्यूटेंट स्ट्रेन को लेकर निंद उड़ी हुई है। इस बीच लगातार इस नए वेरिएंट का पता लगाने की कोशिश की जा रही थी। अब वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इसके बारे में उन्होंने पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों का नए वेरिएंट को लेकर कहना है कि यह तेजी से फैल सकता है और मनुष्य़ की प्रतिरोधक क्षमता को भी चकमा दे सकता है।
ट्रिपल म्यूटेंट ने बढ़ाई चिंता
इस नए वेरिएंट का पता सबसे पहले पश्चिम बंगाल में लगा था। इसको B.1.618 नाम दिया गया है जो B.1.617 से अलग है और इसे दोहरे उत्परिवर्तन वाले वायरस के रूप में भी जाना जाता है। कहा जा रहा है कि भारत में दूसरी लहर में कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से वृद्धि के पीछे यही वेरिएंट है। B.1.618 को ट्रिपल म्यूटेंट बताया जा रहा है।
वैज्ञानिकों ने कोविड संबंधी उचित व्यवहार के पालन पर दिया जोर
सीएसआईआर-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (सीएसआईआर-आईजीआईबी), नयी दिल्ली के निदेशक अनुराग अग्रवाल ने कहा, चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। मानत सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की जरूरत है। B.1.618 के संबंध में जांच की जा रही है। B.1.618 भारत में मुख्य रूप से पाए जाने वाले सार्स-सीओवी-2 का एक नया स्वरूप है। वैज्ञानिकों ने अभी और शोध और कोविड संबंधी उचित व्यवहार के पालन करने पर जोर दिया है।
क्या है ट्रिपल म्यूटेशन
भारत में कुछ समय पहले डबल म्यूटेशन के बारे में पता चला था, जो दो स्ट्रेन से बनकर तैयार हुआ था। इसके बाद अब तीन कोविड वेरिएंट से मिलकर ट्रिपल म्यूटेशन तैयार हुआ है। यह महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली में पाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि म्यूटेशन न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में नया संक्रमण फैला रहे हैं। ट्रिपल म्यूटेशन कितना संक्रामक है या कितना घातक है, यह अधिक अध्ययनों से ही पता चलेगी। अभी भारत भर में केवल 10 लैब वायरस जीनोम अध्ययन में शामिल हैं।