कोरोना वायरस के नए वेरिएंट को लेकर दुनिया खौफ में है, धीरे-धीरे यह वेरिएंट तेजी से पैर पसारने लगा है। इस वेरिएंट के मामले अब भारत में मिलने लगे हैं औज आज देश का चौथा मामला महाराष्ट्र में सामने आया है। जिसके बाद राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार भी शख्त हो गई है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर अभी तक यह बात सामने नहीं आई है कि यह कितना घातक है। लेकिन कई वैज्ञानिकों ने इसे डेल्टा से भी घातक बताया है और अब तीसरे लहर की भी पुष्टि कर दी गई है।
कोरोना वायरस के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को देखते हुए यह दावा किया जाने लगा है कि अब देश में तीसरी लहर आनी लगभग तय है। और इसका असर दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक दिखने लगेगा। जनवरी के अंतिम सप्ताह या फरवरी की शुरुआत में ओमिक्रॉन का पीक होगा। आईआईटी के वरिष्ठ वैज्ञानिक पद्मश्री प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने नए अध्ययन में यह दावा किया है। हालांकि, तीसरी लहर दूसरी लहर की तुलना में कम घातक होगी।
नई स्टडी के अनुसार, तीसरी लहर सेकेंड वेव की तरह घातक नहीं होगी। प्रो. अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है। इससे पहले उन्होंने गणितीय मॉडल सूत्र के आधार पर ही दूसरी लहर के बाद ही नए म्यूटेंट के आने से तीसरी लहर की आशंका जताई थी। अभी भी इसपर उनकी स्टडी जारी है।
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अब तक जितने भी केस स्टडी सामने आई हैं, उसमें संक्रमण तेजी से फैल रहा है लेकिन बहुत अधिक घातक नहीं मिला है। प्रो. अग्रवाल ने कहा कि सितंबर माह में ही तीसरी लहर को लेकर जो आकलन किया था, वह सच साबित होता दिख रहा है। कई देशों में फैलने के बाद भारत में भी ओमिक्रॉन के केस मिलने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जब तीसरी लहर पीक पर होगी, तब रोजाना एक से डेढ़ लाख के बीच संक्रमित मरीजों के मिलने की संभावना है। प्रो. अग्रवाल ने अपने गणितीय मॉडल सूत्र से पहले व दूसरी लहर में भी स्टडी की थी। उनकी रिपोर्ट का आकलन काफी हद तक सही साबित हुआ था। उनका कहना है कि बच्चों पर इसका असर कम होगा और उनमें लक्षण भी कम नजर आएंगे और वे जल्दी रिकवर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि, ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीज जल्दी रिकवर होंगे।