कोरोना से लड़ने के लिए भारतीय वैज्ञानिक और मेडिकल एक्सपर्ट्स लगातार रिसर्च कर रहे है। इस कड़ी में एक्सपर्ट्स ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जो मरीजों की पहचान कर पहले ही आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट की जरुरत को बता देगा ताकि समय रहते मरीज को रेफर किया जा सके और उसकी जिंदगी को बचाया जा सके। इस सॉफ्टवेयर का नाम 'कोविड सीवियरिटी स्कोर' रखा गया है। इस सॉफ्टवेयर में ऐसा एल्गोरिदम है जो कुछ मानकों को मापकर उन मरीजों की पहचान करेगा, जिन्हें वेंटिलेटर या आपातकालीन सेवा और आईसीयू की जरूरत पड़ सकती है।
Covid Severity Score (CSS)
New Software helps identify patients likely to require ventilator support thus detecting emergency & ICU needs early#India #IndiaFightsCorona #COVID19 #Kolkata pic.twitter.com/Oc2X9kXnWE
— Praveen kumar (@Praveen_rams) June 19, 2021
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय की अपने बयान में कहा है कि इस सॉफ्टवेयर की मदद से उन मरीजों को अस्पतालों द्वारा दिए गए रेफरल की संख्या घटाने में मदद मिल सकती है जिन्हें गंभीर देखभाल की जरूरत नहीं पड़ सकती। अक्सर देखा जाता है कि अस्पताल ऐसे मरीजों को भी दूसरे अस्पतालों में रेफर कर देते है जिन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर जैसी आवश्यकता नहीं होती। यह सॉफ्टवेयर ऐसे मरीजों की पहचान कर सकता है जिससे अन्य मरीजों को बिस्तर मिल सकते है। यह सॉफ्टवेयर हर एक मरीज की स्थिति को पहले से तय मानकों पर मापेगा और कोविड की गंभीरता का स्कोर तय करेगा।
New software helps identify patients likely to need ventilator support
The government on Saturday said that a new software – Covid Severity Score – has been developed to identify patients who require ventilator support as well as detect emergency and intensive care unit need… pic.twitter.com/bdNFF8b55o— sameer patel (@sameerpatel13) June 19, 2021
केंद्र सरकार ने अपने बयान में आगे बताया कि इस तकनीक को पहले कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में तीन सामुदायिक कोविड केयर केंद्रों में प्रयोग में लाई जा रही है। इसमें कोलकाता के बैरकपुर में स्थित 100 बिस्तरों वाला सरकारी कोविड केंद्र शामिल है। आईआईटी गुवाहाटी, डॉ केविन धालीवाल, एडिनबर्ग विश्वविद्यालय और डब्ल्यूएचओ में काम कर चुके डॉ सायंतन बंद्योपाध्याय ने संयुक्त रूप से सीएसएस विकिसित किया है। इस सॉफ्टवेयर को लकर उम्मीद की जा रही है कि ये बेड और ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 'कोविड केयर सेंटर्स' के लिए बड़ी मदद कर सकता है। हालांकि, इनवेसिव वेंटिलेशन के लिए इसमें कोई सुविधा नहीं है।