पश्चिम बंगाल का चुनाव जीतने के बाद सीएम ममता बनर्जी और भी ज्यादा ‘बद्दिमाग’ हो गई हैं। प्रधानमंत्री की साइक्लोन यास की रिव्यू मीटिंग में ममता बनर्जी आधे घण्टे से भी ज्यादा समय देरी से पहुंची। इतना ही नहीं पीएम की मीटिंग में राज्य के चीफ सेक्रेटरी भी देरी से पहुंचे। मीटिंग में पहुंचते ही ममता बनर्जी ने साइक्लोन से राज्य में हुए नुकसान से जुड़े कुछ दस्तावेज दिए 20हजार करोड़ रुपये मांगे और चली गईं। ऐसा बताते हैं कि ममता बनर्जी ने पीएम मोदी से कहा कि उन्हें कुछ मीटिंग्स में जाना है। कुछ अधिकारी उनका इंतजार कर रहे हैं, इतना बोलकर मीटिंग से निकल गईं।
ममता बनर्जी की देश के पीएम को बेइज्जत करने वाली हरकत यहीं नहीं रुकीं। मीटिंग से बाहर निकलने के बाद ममता बनर्जी ने के बाद कहा कि पीएम मोदी की मीटिंग के बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। ममता बनर्जी ने कहा, 'मैं नहीं जानती थी कि पीएम मोदी ने मीटिंग बुलाई है। मेरी दीघा में एक और मीटिंग थी। मैं कलाईकुंडा गई थी और पीएम नरेंद्र मोदी को रिपोर्ट सौंपकर 20,000करोड़ रुपये की मदद की मांग की है। 10,000करोड़ की मांग दीघा और 10,000करोड़ सुंदरबन के विकास के लिए मांगे हैं। मैंने उनसे कहा कि राज्य के अधिकारी मुझसे मिलना चाहते हैं। इसके बाद मैंने उनसे परमिशन ली और निकल गई।'
प्रधानमंत्री मोदी के बंगाल और उड़ीसा के चक्रवात प्रभावित जिलों के हवाई सर्वे और रिव्यू मीटिंग की खबरें न केवल टेलिवीजन पर चल रहीं थीं, ये भी आशंका जाहिर की जा रही थी कि ममता बनर्जी शायद ही पीएम मोदी की मीटिंग में शामिल हों। लेकिन राज्य का मुख्य सचिव भी पीएम की मीटिंग में लेट पहुंच कर अनुशासनहीनता और अवमानना कर सकता है इसका किसी को अनुमान नहीं था। ममता बनर्जी के इस तरह के रवैये से केंद्र और राज्य में एक बार फिर भारी तनाव की स्थिति पैदा होने के आसार बन गए हैं।