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Rahul Gandhi की कुण्डली पर शनि की वक्र दृष्टि! ‘पोक्सो एक्ट में जमानत नहीं, सीधे जेल भेजती हैं अदालतें’

राहुल गांधी की कुण्डली पर शनि की वक्र दृष्टि

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष, गांधी परिवार के चश्मे चिराग कांग्रेसियों के राजकुमार यानी राहुल गांधी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। पॉलिटिकल ज्योतिषियों की मानें तो पहले से राहु-केतु से ग्रस्त चल रही है राहुल गांधी की जन्म कुण्डली को 14 अगस्त 2021 की सांय चार बजे शनि ने भी वक्र दृष्टि से देखना शुरू कर दिया है।

पहेली समझ में न आए तो सरल शब्दों सुनिए, 'राजधानी दिल्ली के बाराखमभा थाने में एक शिकायत दर्ज करवाई गई है। शिकायत का मजमून Complaint Against Rahul Gandhi For Willfully Disregard of Privacy है।' यह शिकायत दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता नवीन कुमार जिंदल ने दर्ज करवाई है। यह शिकायत दिल्ली कैंट में दुष्कर्म के बाद कत्ल कर दी गई बच्ची के माता-पिता की पहचान उजागर करने पर राहुल गांधी के खिलाफ की गई है। भारतीय कानून के अनुसार ऐसे महिलाओं से संबंधित अपराध में पीड़िता की पहचान उजागर करना अपराध है। यह अपराध तब और गंभीर प्रकृति का हो जाता है जब पीड़िता की पहचान उजागर करने के पीछे कोई स्वार्थ हो।

दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता नवीन कुमार ने अंग्रेजी में टाइप शुदा शिकायत में जुवेनायल जस्टिस एक्ट की धारा 74, पोक्सो एक्ट की धारा 23 और आईपीसी की धारा 228 के तहत आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आग्रह किया है। क्या है ये मामला कांग्रेस के क्राउन प्रिंस राहुल गांधी ने अपने ट्विटर हैंडल पर रेप और हत्या के कथित मामले की पीड़िता से संबंधित फोटो शेयर किए थे।

इस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पीड़िता की निजता के उल्लंघन का मामला माना और ट्विटर को शिकायत की और ट्विटर ने राहुल गांधी का ट्विटर हेंडल सस्पेंड कर दिया था। इस पर भी कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए बीजेपी पर ट्विटर पर दबाव डालने का आरोप लगाया था। इसके बाद कांग्रेस ने कथित तौर पीड़िता के परिजनों का सहमति पत्र ट्विटर को सौंपा, तब कहीं जाकर राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट बहाल हुआ।

कानून विशेषज्ञों का कहना है कि, बाराखम्भा थाने में दर्ज शिकायत के आधार जांच अधिकारी मामले की जांच में सहमति पत्र की वास्तविकता को परखेगा। इसके अलावा ऐसे मामले में सहमति लेकर भी फोटो पब्लिक करना कानून की दृष्टि में अपराध है। इस अपराध के लिए राहुल गांधी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा सकता है और राहुल गाँधी को जमानत के लिए कोर्ट जाना सकता है। गंभीर और अतिसंवेदनशील प्रकृति के मामलों में  यदि पुलिस रिमांड नहीं लेती है तो अदालत अभियुक्त को जमानत देने के बजाए ज्युडीशियल कस्टडी में जेल भेज देती है। एक और खास बात यह है कि अगर सहमति पत्र ट्विटर काण्ड से बाद का है तो पुलिस यह भी देखेगी कि क्या यह पत्र दबाव या लालच देकर तो नहीं लिया गया है। 

बहरहाल, अब गेंद दिल्ली पुलिस के पाले में है। वैसे, राहुल गांधी के खिलाफ दर्ज की गई ये शिकायत ठण्डे बस्ते में जाने की संभावना कम ही है। शिकायत को अभियोग की शक्ल में दर्ज होने के बाद राहुल गांधी को लोअर कोर्ट तो क्या हाई कोर्ट से भी जमानत हासिल करने में पसीने आ जाएंगे।