दिल्ली में इजरायली दूतावास के 29 जनवरी की शाम 5 बजकर 5 मिनट पर हुए धमाके के तार सामने से भले ही ईरान से जुड़े दिखाई दे रहे है लेकिन इसके पीछे आईएसआई के हाथ से इंकार नहीं किया जा सकता। ‘इंडिया नैरेटिव’ ने धमाके के तुरंत बाद ही इसी आशंका को जाहिर किया था। ‘इंडिया नैरेटिव’की इसी आशंका को भारतीय एजेंसियां भी व्यक्त कर रही हैं। उच्च पदस्थ सुरक्षा सूत्रों से मिली जानकारी पर भरोसा करें तो दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे घेराव आंदोलन की आड़ में आईएसआई अपने कुछ गुर्गों की घुसपैठ दिल्ली में कराने में कामयाब रही। आईएसआई ने इन्हीं गुर्गों के माध्यम से इजरायली दूतावास के पाक बम धमाका करवा दिया। अभी तक कहा जा रहा था कि ब्लास्ट लो इनटेंसिटी का था, लेकिन क्रिमिनल फोरेंसिक विशेषज्ञों के अनुसार यह धमाका 30 मीटर के दायरे में तबाही मचाने के लिए पर्याप्त था। जिस समय बम धमाका हुआ उस समय 30 मीटर के दायरे में होता उसकी मौत निश्चित थी। दूसरी बात यह है कि आईएसआई जिस तरह के बम धमाके करती है उसी तरह का यह धमाका भी है।
एक बात और जो सामने आ रही है वो यह कि इस धमाके के पीछे अलकायदा का भी हाथ हो सकता है। इस बात में ज्यादा दम दिखाई देता है। क्यों कि अलकायदा को पाकिस्तान लगातार संरक्षण दे रहा है। ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बावजूद पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तान की एजेंसी आईएसआई ही अलकायदा के लिए ‘सेफ हाउस’ उपलब्ध करवाती रही है। ईरानी गार्ड कमाण्डर कासिम सुलेमानी की हत्या के ईरान की खुफिया एजेंसी ने आईएसआई से हाथ मिलाया। आईएसआई ने अमेरिका अमेरिकी मित्र देशों में ईरानी खुफिया एजेंसियों मदद करने का वादा किया। इस मदद के एवज में आईएसआई ने अलकायदा के तेहरान में सेफ हाउस हासिल कर लिया। शिया मुस्लिम देश ईरान में सुन्नी अलकायदा को शरण दिए जाने की खबरों से बड़े-बड़े देश हिल गए थे। ये दुनिया के सबसे घातक गठजोड़ है।
इस गठजोड़ का खुलासा 7 अगस्त 2020 को उस वक्त हुआ जब तेहरान में अलकायदा के डिप्टी चीफ अबू मोहम्मद मसरी उर्फ अब्दुल्ला अहमद अब्दुल्ला, उसकी बेटी समेत और ओसामा बिन लादेन के बेटे हमजा की विधवा भी मारी गई। अलकायदा के आतंकी सरगना और उनके परिवार ईरान की राजधानी तेहरान में रह रहे हों और ईरान की सरकार को मालूम न हो ऐसा नहीं हो सकता। यह भी तय है कि अलकायदा के सरगना और उनके परिवारों को शरण देने के एवज में ईरान ने भी कोई बड़ा मुहायदा किया होगा। यह मुहायदा अलकायदा से नहीं बल्कि अलकायदा को पालने वालों से ही हो सकता है। अब यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अलकायदा को पालने वाला देश कोई और नहीं बल्कि पाकिस्तान ही है।
ऐसी आशंका भी व्यक्त की जा रही है कि दिल्ली स्थित इजरायली दूतावास पर आईएसआई के गुर्गों से हमला कराने की साजिश में चीन भी अप्रत्यक्ष तौर पर शामिल रहा हो। क्योंकि भारत और ईरान के संबंध बिगड़ने का सीधा लाभ चीन को मिलेगा। चीन चाहबहार पोर्ट में हिस्सेदारी करना चाहता है। ऐसी कोशिशें चीन की ओर से पहले हो चुकी हैं। चाहबहार पोर्ट प्रोजेक्ट में शामिल हो कर चीन चाहबहार और ग्वादर को जोड़कर अपनी वन बेल्ट वन बेल्ट परियोजना को सफल बनाने की कोशिश में हैं। इस तरह बीजिंग सीधे सेंट्रल एशिया से जुड़ जाएगा। चीन का दबदबा हो जाएगा और भारत रणनीतिक-समारिक और आर्थिक सभी मोर्चों पर कमजोर हो सकता है। जिसका फायदा उठाकर वो एलएसी पर भारत को झुकाने की कोशिश कर सकता है। इजराइली दूतावास के बाहर बम धमाके में चीन की संलिप्तता और उसको होने वाले दृष्टिकोरण से यह एक मजबूत आशंका है।
दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर बम धमाके में पाकिस्तान और ईरान की संलिप्तता के निहितार्थों की चर्चा करते हैं। ईरान की संलिप्तता इस लिहाज से की मानी जा रही है कि ईरान की एजेंसियां अपने परमाणु वैज्ञानिक फारेख जादेह की हत्या का बदला इजरायल से लेना चाहती है। ईरानी एजेसिंयां कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला भी लेना चाहती हैं। ईरान को शक है कि कासिम सुलेमानी की हत्या में इजरायल की मदद से अमेरिकी फोर्सेस ने की। गौर से देखा जाए तो, इस दिल्ली में धमाके से ईरान या ईरानी एजेंसियों को कुछ भी हासिल न हुआ न होने वाला है। एक छोटा धमाका करके ईरान, भारत से संबंध खराब करने जैसा बड़ा नुकसान क्यों करेगा?हां, इजरायली दूतावास के बाहर बम धमाके से पाकिस्तान और पाकिस्तान के ऑल वेदर फ्रेंड को कई फायदे हो सकते हैं। इस धमाके की जांच में इजरायल शामिल हुआ तो भारत-ईरान के संबंधों पर असर पड़ेगा। यह असर कूटनीतिक संबंधों पर ही नहीं बल्कि आर्थिक-व्यापारिक और सामरिक संबंधों पर होगा। जिसका सीधा फायदा पाकिस्तान को होगा।
इस मामले में पुलिस के हाथ सीसीटीवी फुटेज लगे हैं, जिसमें दो संदिग्ध दिख रहे हैं। पुलिस के हाथ एक चिट्ठी भी लगी है, जो ब्लास्ट वाली जगह से मिली। चिट्ठी में ब्लास्ट को एक ट्रेलर बताया गया है। ऐसी हरकत पाकिस्तान परस्त आतंकी संगठन ही कर सकते हैं।
हालांकि भारत की सुरक्षा एजेंसियां दिल्ली के होटलों में रुके ईरानियों की जानकारियां जुटा रही है। इस मामले को स्पेशल सेल एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच कर रही है। इस बीच संवेदनशील इलाकों, धार्मिक स्थलों, खासकर इजरायली नागरिकों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।जिस कैब में आरोपी आए थे, उसके ड्राइवर से स्केच बनाकर आरोपियों को ढूंढा जा रहा है। दिल्ली में सुरक्षा एजेंसिया यह मानकर चल रही हैं कि इस धमाके के पीछे अलकायदा का हाथ है। पाकिस्तान परस्त अलकायदा ने 23 जनवरी को ईमेल भेजकर हमले की धमकी भी दी थी। इसे लेकर आईबी ने अलर्ट भी जारी किया था। अलकायदा ने दुनियाभर में हमले करने की धमकी दी थी।
बहरहाल, दिल्ली धमाके में जांच एजेंसियो ने 122 संदिग्ध लोग और 182 मोबाइल फोन नम्बरों पर शिकंजा कस दिया है। इसके अलावा जैश-उल-हिंद नामके जिस आतंकी गिरोह का नाम आया है उसकी डिजिटल निशानदेही भी पाकिस्तान में हुई है। इसके अलावा ब्लास्ट स्थल के पास दो लोगों को ड्रॉप करने वाले कैब ड्राइवर से जानकारी लेकर दोनों संदिग्धों के स्कैच भी तैयार कर लिए गए हैं। दिल्ली ब्लास्ट पर इजराइल के राजदूत डॉक्टर रोन मलका ने कहा कि ब्लास्ट से जुड़े सभी पहलुओं की जांच की जा रही है।