कोरोना काल में राजधानी दिल्ली में अस्पतालों में जो हुई है वो किसी से छुपा नहीं है। ना तो अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड मिला और ऑक्सीजन की कमी की वजह से तो न जाने कितनी सांसों ने जिंदगी छोड़ चल बसी। दिल्ली में हाल इतनी बुरी हो गई थी कि वर्ल्ड मीडिया में भी इसकी चर्चा हुई। अखबारों के फ्रंट पेज से चैनलों की ब्रेकिंग न्यूज़ बनी दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी अभी खत्म नहीं हुई थी कि अरविंद केजरीवाल की आप सरकार ने यह दावा किया है कि दिल्ली के पास अतिरिक्त ऑक्सीजन है। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने यह भी कहा है कि जरूरतमंद राज्यों को यह दिया जा सकता है।
दिलचस्प बात यह है कि यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति, वितरण और उपयोग का ऑडिट करने के लिए एक पैनल की स्थापना के बाद की गई है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोविड-19 की स्थिति के आकलन के बाद फिलहाल दिल्ली की ऑक्सीजन की जरूरत 582 मीट्रिक टन प्रतिदिन है। इसके आगे उन्होंने यह तक कहा कि एक जिम्मेदार सरकार के रूप में हम अफनी सरप्लस (अतिरिक्त) ऑक्सीजन उन राज्यों को देने को तैयार हैं, जिन्हें इसकी आवश्यकता है। दिल्ली की हाल अभी सुधरी नहीं है कि दिल्ली सरकार अपने राज्यों के मरीजों के बजाय दूसरे राज्यों की मदद करने की बात कह रही है।
सिसोदिया ने इसके आगे कहा कि, दिल्ली में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है जो राहत की बात है। अस्पतालों में मरीजों की मौजूदा संख्या को देखते हुए ऑक्सीजन की जरूरत भी कम हुई है। इसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने केन्द्र को चिट्ठी लिखकर कहा है कि ऑक्सीजन की मांग में अब कमी आई है, इसलिए दिल्ली को अब 700 की जगह 582 मीट्रिक टन की आवश्यकता है। हमने केंद्र सरकार से बाकी ऑक्सीजन जरूरतमंद राज्य को देने के लिए अनुरोध किया है।
Today, after assessment of the COVID19 situation, Delhi's oxygen need is 582 MT per day. As a responsible government, we will give the surplus oxygen to the States who need it: Delhi Deputy CM Manish Sisodia pic.twitter.com/kgM2lhAef6
— ANI (@ANI) May 13, 2021
अपने ही बयान से पलटी दिल्ली सरकार
एक तरफ तो दिल्ली सरकार केंद्र पर ठीकरा फोड़ रही थी कि उसके पास अतिरिक्त ऑक्सीजन नहीं है और केंद्र सरकार कम दे रही है। अरविंद केजरीवाल की आप सरकार ने कहा था कि दिल्ली में संकट से बाहर निकलने के लिए कम से कम 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की दैनिक आपूर्ति की आवश्यकता है। आवश्यक 976 मीट्रिक टन ऑक्सीजन प्रदान नहीं करने के लिए केंद्र सरकरा पर दोषारोपण कर रही थी। लेकिन कोर्ट के आदेशों के बाद 730 एमटी ऑक्सीजन की आपूर्ति होने के बाद सीएण ने यह कहना शुरू कर दिया कि उनके पास हजारों नए ऑक्सीजन बेड शुरू करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन है। और अब जब शीर्ष अदालत ने AAP सरकार की कड़ी आपत्ति के बावजूद, दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट करने के लिए एक पैनल नियुक्त किया है, केजरीवाल सरकार ने प्रति दिन 582 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए सीधे समझौता किया है।
Delhi CM Arvind Kejriwal writes to Union Commerce & Industries Minister Piyush Goyal, requesting him to ensure uninterrupted supply of 700MT of oxygen on daily basis & restoration of supply of 140MT of oxygen by INOX, one of the major supplier to various hospitals in Delhi. https://t.co/gAxaRWCqJj pic.twitter.com/iSty7A84hf
— ANI (@ANI) April 18, 2021
ऑडिट का दिल्ली सरकार ने विरोध किया था
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में जोर देकर कहा था कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की मांग आवश्यकता से परे थी। उन्होंने कहा कि 500-600 में भी काम हो सकता था। दिल्ली में ऑक्सीजन के वितरण में किसी भी तरह के गड़बड़ी की जांच करने के लिए एक ऑडिट होना चाहिए। जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि, दिल्ली को ऑक्सीजन के आवंटन में ग्राउंड की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं किया गया था और यह केवल कागजी कार्रवाई थी, और यदि ऑडिट की आवश्यकता है, तो यह केंद्र सरकार के मनमाने आवंटन पर होना चाहिए।
Delhi is facing acute shortage of oxygen. In view of sharply increasing cases, Delhi needs much more than normal supply. Rather than increasing supply, our normal supply has been sharply reduced & Delhi’s quota has been diverted to other states: CM Arvind Kejriwal (File photo) pic.twitter.com/Dfaejr8pBo
— ANI (@ANI) April 18, 2021
ऑडिट प्रस्ताव के बाद अचानक दिल्ली सरकार के पास आ गई अतिरिक्त ऑक्सीजन
जैसे ही केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को ऑडिट कराने की बात कई उसके तुरंत बाद दिल्ली में ऑक्सीजन की कमी दूर हो गई। कमी तो छोड़िए अचानक से दिल्ली सरकार के पास अतिरिक्त ऑक्सीजन आ गई। और 976 मीट्रिक टन से घटकर 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन पर आ गई थी। जो अब सुप्रीम कोर्ट के ऑडिट के निर्देश देने के बाद 582 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है। यानी कुछ तो झोल है। क्योंकि, ऑक्सीजन की कमी के बीच एक बड़े घोटाले का भी खुलासा हुआ है। जिसमें AAP के कई मंत्री और सहयोगी मेडिकल ऑक्सीजन और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति के ब्लैक मार्केटिंग में शामिल पाए गए।